
Amit Jha
Ranchi : राज्य में मॉनसून लगातार चिढाए हुए है. कमोबेश सभी चौबीसों जिले में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो चुकी है. किसानों के सामने गहरी चुनौती खड़ी हो चुकी है. इसे देखते हुए कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (झारखंड सरकार) ने सुखाड़ मैनेजमेंट एक्ट 2016 के प्रावधानों के तहत सुखाड़ अनुश्रवण केंद्र (DROUGHT MONITORING CENTRE) के गठन का फैसला लिया है. इसका प्रमुख कृषि विभाग के सचिव को बनाया गया है. कृषि निदेशक को सदस्य सचिव तथा उद्यान निदेशक, भूमि संरक्षण निदेशक, पशुपालन निदेशक, मत्स्य निदेशक सहित पेयजल एवं स्वच्छता, ग्रामीण विकास, जल संसाधन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र, बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी, झारखंड स्टेट एप्लिकेशन सेंटर और अन्य को भी इसमें सदस्य बनाया गया है. इस सेंटर के द्वारा राज्य में संभावित सुखाड़ का अनुश्रवण किया जायेगा.
समिति का ये होगा काम
सेंटर (कमिटी) में शामिल सदस्य नियमित रूप से बैठक करेंगे. इस दौरान राज्य में संभावित सुखाड़ के स्थिति की नियमित समीक्षा की जायेगी. वस्तुस्थिति से संबंधित प्रतिवेदन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार एवं भारत सरकार को उपलब्ध कराएगी. यह समिति जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार एवं राज्य सरकार के संबंधित विभागों से जरूरी समन्वय बनाते हुए सुखे की स्थिति से निपटने को सभी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी.
तरसा रहा मॉनसून
कृषि विभाग ने जुलाई माह के आखिर तक और अगस्त माह में अब तक हुई बारिश की स्थिति पर चिंता जतायी है. राज्य में सुखे की आशंका सच में तब्दील होने की संभावना बन गयी है. ऐसे में राज्य को सुखाड़ग्रस्त घोषित किये जाने के लिये आपदा प्रबंधन विभाग, रांची को प्रतिवेदन भेजे जाने की तैयारी में वह लग गया है. विभाग के मुताबिक जुलाई में पिछले 10 सालों में सबसे कम बारिश हुई है. साथ ही जून, जुलाई में किसी भी दिन 24 घंटे में 65 मिमी से ज्यादा बारिश नहीं हुई है जो धान की रोपनी के लिये जरूरी है.
राज्य में सामान्य परिस्थिति में 15 जुलाई तक 80 फीसदी धान का रोपा हो जाता है. 31 जुलाई तक 100 फीसदी यह काम पूरा कर लिया जाता है. 31 जुलाई के बाद का Transplanting Late Sowing की श्रेणी में आता है. इससे इसके उपज पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है. इस वर्ष 31 जुलाई तक सभी फसलों का आच्छादन 28.27 लाख हेक्टेयर के आच्छादन का लक्ष्य था. अभी तक मात्र 6.97 लाख हेक्टेयर (24.64 फीसदी) ही यह हो सका है. 15 अगस्त तक कुल फसल आच्छादान के लक्ष्य 28.27 लाख हेक्टेयर के विरुद्ध मात्र 10.51 लाख हेक्टेयर (31.18 फीसदी) ही हो सका है. पिछले वर्ष इस समय यह 23.48 लाख हेक्टेयर (83.07 फीसदी) हुआ था.
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