
Ranchi : राजधानी रांची समेत राज्य में बालू की किल्लत हो गई है. वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद घाटों से बालू का उठाव रोक दिया गया है. ऐसे में राज्य में चल रहे सैकड़ों प्रोजेक्ट पर ब्रेक लग गया है. वहीं जो प्रोजेक्ट फाइनल होने वाले है उनके लिए काम पूरा करना चुनौती बन गया है. इसका फायदा बालू के कारोबारी उठा रहे है और बालू गिराने के नाम पर मनमाना चार्ज वसूल रहे है. जिससे समझा जा सकता है कि किल्लत के बीच कैसे बालू की कालाबाजारी का खेल चल रहा है. इस चक्कर में घर बना रहे लोगों की जेब भी हल्की हो रही है.
रेरा में एक्सटेंशन की गुहार
किसी भी प्रोजेक्ट को शुरु करने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. इसके बाद प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एक डेडलाइन भी तय की जाती है. जिसके अंदर डेवलपर को काम पूरा करना होता है. वहीं प्रोजेक्ट पूरा करने में अगर देर होती है तो डेवलपर को यह भी बताना है कि काम में देर क्यों हुई. इसके बाद रेरा चाहे तो प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कुछ समय देता है. अब रेरा में कई डेवलपर एक्सटेंशन की गुहार लगाने पहुंच रहे है, चूंकि उनकी डेडलाइन नजदीक आ गई है. वहीं इतने कम समय में बालू की किल्लत के बीच काम पूरा कर पाना संभव नहीं है.
10 जून से बंद है बालू का उठाव
राज्य में बालू कारोबारियों का 90 प्रतिशत स्टॉक खत्म हो चुका है. अब एनजीटी के आदेश के बाद 10 जून से बालू का उठाव पूरी तरह बंद हो गया है. वहीं सरकार ने मॉनसून के पहले कारोबारियों को स्टॉकिस्ट का लाइसेंस जारी नहीं किया गया. जिससे कि वे बालू का स्टॉक ही नहीं कर सके. अब इसका खामियाजा बालू के कारोबारी भी भुगत रहे है. वहीं लोगों के सपनों का आशियाना भी अधर में लटक गया है.
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