
Nikhil Kumar
Ranchi : झारखंड में 53 हजार निर्माणाधीन कुएं धंसने को तैयार हैं. अगले दो-तीन दिनों में मानसून आने को है. मौसम विभाग ने मानसून आने के पहले ही राज्य के कई हिस्सों में जोरदार बारिश की संभावना जाहिर की है. ऐसे में विभिन्न जिलों में मनरेगा के तहत चल रही कूप निर्माण की योजनाओं के साथ राज्य के करोड़ों रुपये बह सकते हैं. ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के तहत राज्य में लगभग 54 हजार सिंचाई कूप बनाने का काम शुरू हुआ था, लेकिन बारिश शुरू होने के पहले अब तक मात्र 700 कुओं का काम पूरा हो पाया है.
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एक कुएं की लागत लगभग 3.50 लाख
एक सिंचाई कूप के निर्माण में लगभग 3.50 लाख रुपये की लागत आती है. बारिश में कुएं धंसने की आशंका पर विभाग अब हरकत में आया है. विभाग की ओर से जिलों को अलर्ट जारी किया है. जिलों के उपायुक्तों और उप विकास आयुक्तों को कहा गया है कि कूप निर्माण की जो भी योजनाएं चल रही हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूरा कराया जाये. कहा गया है कि अगर ये योजनाएं जल्द पूरी नहीं करायी गयीं तो बरसात में इनके धंसने की आशंका होगी और ऐसे में बड़े पैमाने पर सरकारी राशि की बर्बादी हो सकती है.
जिलों को कहा गया है कि पहले से ली गयी कूप निर्माण की योजनाओं के लिए राशि की आवश्यकता है तो डिमांड भेजें. सिंचाई कूप निर्माण में लगनेवाली सामग्री के लंबित दायित्व के भुगतान के लिए प्रखंडवार वास्तविक अधियाचना (डिमांड) 24 घंटे में मांगी गयी हैं. जिलों द्वारा मांगी गयी राशि सीधे इफएमएस खाता में उपलब्ध करायी जायेगी.
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अफसर रहे लापरवाह, मात्र एक फीसदी कुएं बने
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सिंचाई कूप की योजनाओं को पूर्ण करने के लिए कई बार निर्देश दिये गये, लेकिन जिलों के अधिकारियों ने इसमें रुचि नहीं दिखायी. अब मानसून सामने आने के बाद विभाग हरकत में तो आया है, लेकिन आनन-फानन में राशि रिलीज होने पर गड़बड़ियों की भी भरपूर गुंजाइश रहती है. कूप निर्माण की 54 हजार योजनाओं में अब तक मात्र 700 योजनाएं पूरी हो पायी हैं.
यानी मात्र एक प्रतिशत योजना पूरी हुई. सवाल है कि क्या बाकी 99 फीसद योजनाएं मानसून के पहले पूरी हो पायेंगी? हड़बड़ी के काम में न सिर्फ गड़बड़ी होगी, बल्कि सरकारी राशि की बर्बादी भी होगी. अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के कारण योजनाएं पूरी नहीं की जा सकीं, जबकि सच तो यह है कि मनरेगा की योजनाएं कोरोना काल में भी चालू रखी गयी थीं.
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जिला | चालू योजना | पूर्ण | प्रतिशत |
रामगढ़ | 1791 | 87 | 5 |
लातेहार | 2626 | 107 | 4 |
पाकुड़ | 1492 | 51 | 3 |
गढ़वा | 4813 | 122 | 2 |
रांची | 4411 | 96 | 2 |
धनबाद | 980 | 13 | 1 |
कोडरमा | 309 | 4 | 1 |
देवघर | 3440 | 42 | 1 |
चतरा | 2110 | 22 | 1 |
गुमला | 3476 | 28 | 1 |
साहेबगांज | 1118 | 9 | 1 |
सिमडेगा | 1127 | 9 | 1 |
गोड्डा | 2442 | 18 | 1 |
प.सिंहभूम | 880 | 6 | 1 |
गिरीडीह | 3927 | 22 | 1 |
हजारीबाग | 3230 | 18 | 1 |
बोकारो | 2956 | 15 | 1 |
सरायकेला | 839 | 4 | 0 |
खूंटी | 1330 | 6 | 0 |
जामताड़ा | 2429 | 8 | 0 |
लोहरदगा | 922 | 4 | 0 |
दुमका | 2142 | 7 | 0 |
पूवी सिंहभूम | 373 | 1 | 0 |
पलामू | 2889 | 1 | 0 |
कुल | 52052 | 700 | 1 प्रतिशत |
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