
Jamshedpur : यह आम धारणा है कि मुसलमानों में प्रजनन दर तेजी से बढ़ रही है. लेकिन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ताजा सर्वे के मुताबिक पिछले दो दशकों में मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट देखी गई है. इसका मतलब यह है कि मुस्लिम समुदाय में बच्चे पैदा करने की दर में कमी आई है. इसके साथ ही अन्य धर्मों के प्रजनन दर में भी गिरावट आई है. नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2 फीसदी से घटकर 2 प्रतिशत रह गई है.
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आने वाले समय में स्थिर हो सकती है प्रजनन दर
इससे देश में बढ़ रही जनसंख्या पर थोड़ा ब्रेक लगता हुआ नजर आ रहा है. प्रजनन दर में जिस प्रकार गिरावट दर्ज की गई है, उससे यह कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में तेजी से बढ़ रही आबादी स्थिर वाले कैटेगरी में आ सकती है. मुस्लिम वर्ग की प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई है. सर्वे में इस वर्ग में प्रजनन दर 1992-93 में 4.4, 2015-16 में 2.6 और 2019-21 में 2.3 दर्ज की गई है. हालांकि सभी धर्मों में यह पहले की तुलना में कम है. सभी धार्मिक समूहों में अब पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा हो रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे एक जो कि 1992-93 के बीच हुआ था उसमें मुसलमानों में प्रजनन दर 4.41 थी. दूसरा सर्वे जो कि 1998-99 में हुआ उसमें 3.59 उसके बाद 2005-06 में 3.4 था. 2015-16 में 2.62 और 2019-21 के बीच जो सर्वे हुआ उसमें 2.36 है. वहीं दूसरी ओर हिंदू धर्म में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे वन में 1992-93 में प्रजनन दर 3.3, दूसरे सर्वे में 98-99 में 2.78, तीसरा सर्वे जो कि 2005-06 में हुआ उसमें 2.59, चौथे सर्वे में 2.13 और साल 2019-21 के बीच जो पांचवां सर्वे हुआ उसमें गिरकर 1.94 हो गयी.
प्रजनन दर का क्या मतलब है?
प्रजनन दर का मतलब यह है कि एक महिला औसत तौर पर अपने प्रजनन काल में कुल कितने बच्चे पैदा कर रही है. इस संबंध में यह माना जाता है कि यदि देश की प्रजनन दर 2.1 या इससे कम हो जाती है, तो कुछ समय बाद आबादी बढ़नी बंद हो जायेगी.
झारखंड-बिहार में अभी भी ज्यादा पैदा हो रहे बच्चे
देश में संतान उत्पत्ति की दर 2.20 से घटकर 2 हो गई है. मगर झारखंड-बिहार में प्रजनन दर अभी भी ज्यादा है. बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) और मणिपुर (2.17) शामिल हैं. सर्वे में यह भी बताया गया है कि समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) देश में 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है. गर्भनिरोधकों के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल भी लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ गया है.