
Jamshedpur: जमशेदपुर का सबसे बड़ा अस्पताल एमजीएम आज खुद वेंटीलेटर पर है. अस्पताल में दाखिल होने के साथ ही आपको खास्ता हालत दिखने लगेगा.
सुरक्षा से लेकर सफाई तक, नियमों का ताक पर रखने से लेकर भ्रष्टाचार तक सभी चीजें इस अस्पताल में धड़ल्ले से चल रही है. चलिये एक-एक कर सभी पहलु को परत-दर-परत खोलने की कोशिश करेंगे. पहली कड़ी में पढ़िये अस्पताल की सुरक्षा-व्यवस्था की पोल खोलती न्यूज विंग की पड़ताल.
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कमजोर और लचर सुरक्षा व्यवस्था
अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था गेट से शुरु होती है, लेकिन जब आप गेट से अंदर जायेंगे तो आपको किसी सुरक्षा जांच से गुजरना नहीं पड़ेगा.
न तो पुलिस के हाथ में कोई मेटल डिटेक्टर नजर आता है और न ही सामान चेक करने के लिए कोई स्कैनर. अस्पताल में तीन गेट है जिसमें से दो गेट परमानेंट बंद हैं और कचरे के ढेर से दोनो को लॉक कर दिया गया है. इन गेट पर कपड़े सुखाये जाते हैं.

यानी की सभी के लिए आने-जाने का रास्ता सिर्फ मेन गेट ही है. पूरी भीड़ के आनेजाने के लिए मात्र एक रास्ता और वो भी बिना किसी जांच के.
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खराब सीसीटीवी और हथियार बंद दस्ता का अभाव
तीसरी आंख यानी सीसीटीवी आजकल सुरक्षा की अहम कड़ी है. जो मेन गेट पर लगा तो है, लेकिन कैमरे की हालत खुद बयां करती है कि खराब हुए जमाना हो गया है.

कुल 12 सीसीटीवी कैमरे परिसर में है जिसमें से आठ खराब है. सर्वर रुम में ताला लगा हुआ है, यानी की निगरानी भी उपरवाले के भरोसे ही है. जिस असपताल में हजारों लोग बिना किसी जांच के प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में अस्पताल की सुरक्षा भगवान भरोसे ही नजर आती है.
आरामपसंद और वसूली में व्यस्त जवान
सुरक्षा में तैनात पुलिस जवान या तो छांव में बैठकर गप्पे लड़ाते दिख जाते हैं, जिसमें महिला पुलिसकर्मी भी बखूबी जवानों का साथ देती है. एक तो जवानों की संख्या जरुरत से कम है और दूसरी जो है वो भी अपना काम छोड़ जुगाड़ में ज्यादा रहते हैं.
पूरे अस्पताल की सुरक्षा मात्र कुछ जवान और छड़ी के सहारे है. रजिस्ट्रेशन के लिए लाइन में खड़े लोगों ने दबी जुबां में कहा कि सुरक्षा में लगे जवान लोगों से डॉक्टर्स का जल्दी नंबर दिला देने के एवज में 50 से 150 रुपया तक वसूलते हैं.
दिन भर में करीब दो हजार मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है, ऐसे में ये इनकी कमाई का जरिया है. इनको अस्पताल की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं.
अगली कड़ी में पढ़ें एजीएम की लचर व्यवस्था का पूरा हाल.
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