
Anand Rao
Jamshedpur: एक कहावत है- चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात. यह कहावत चरितार्थ होते देखना है तो लगा लीजिए कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल एक चक्कर. यह अस्पताल अपनी बदइंतजामी की वजह से सुर्खियों में बना ही रहता है. साफ-सफाई की कौन कहे, मरीजों को अस्पताल प्रबंधन सामान्य दिनों में बेडशीट तक मुहैया कराना मुनासिब नहीं समझता. यह बात अलग है कि सबकुछ बदला नजर आता है जब स्वास्थ्य महकमे का कोई बड़ा अधिकारी या फिर स्वास्थ्य मंत्री का आगमन अस्पताल में होनेवाला होता है. प्रबंधन की सक्रियता, बेहतर साफ-सफाई, चकाचक बेडशीट और जमकर खातिरदारी मरीजों को इस बात का अहसास करा जाती है कि आज का दिन सामान्य नहीं है.
एक दिन पूर्व यानी शनिवार की ही बात है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित जांच केंद्र का उदघाटन करने पहुंचे थे. मंत्री ने एक जरूरतमंद मरीज के लिए खुद रक्तदान कर नेकनामी अपने खाते में दर्ज की थी. इसकी चर्चा आज भी हो रही है, लेकिन एमजीएम अस्पताल का नजारा पूरी तरह वैसा ही दिख रहा है जैसा मंत्री के दौरे से पूर्व था. मंत्री के जाते ही एमजीएम अस्पताल में प्रत्येक मरीज के बेड पर डाला गया चकाचक बेडशीट गायब हो गया है. बन्ना गुप्ता के कार्यक्रम में मद्देनजर अस्पताल प्रबंधन की ओर से इमरजेंसी वार्ड में मौजूद सभी 35 बेड और जमीन में बिछाए गए गद्दों के लिए नए बेडशीट की व्यवस्था की थी. अचानक हुए इस बदलाव से मरीज असमंजस में थे कि आखिर बिना मांगे बेडशीट क्यों दिया जा रही है. लेकिन जैसे ही मंत्री अस्पताल परिसर से गए वैसे ही अस्पताल के बेडशीट में भी कमी आ गई या यूं कहें कि समाप्त हो गई.






रविवार को न्यूज विंग प्रतिनिध ने यह जानकारी लेने का प्रयास किया कि क्या मंत्री के जाने का बाद भी अस्पताल की व्यवस्था कल जैसी ही सुदृढ़ और व्यस्थित है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं दिखा. बेड से चादर गायब थी. मरीज के परिजन घर से चादर लाकर बेड पर बिछाए हुए थे. पूछे जाने पर मरीज के परिजन सविता एवं दुखिया मुमू ने बताया कि अस्पताल से बेडशीट मिला ही नहीं तो मजबूरन घर से उन्हें चादर लाना पड़ा.