
Jamshedpur: सांसद विद्युत वरण महतो शुक्रवार को इस्पात मंत्रालय की परामर्शदात्री (संसदीय) समिति की बैठक में शामिल हुए. शिमला में हुई इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने की. बैठक में इस्पात उद्योग की वर्तमान स्थिति पर पूरी चर्चा की गई. बैठक में 2050 तक भारत को विश्व बाजार में प्रमुख इस्पात उत्पादक देश के रूप में स्थापित करने पर विचार- विमर्श किया गया. संसदीय समिति की बैठक में इस बात पर भी विचार- विमर्श किया गया कि प्रदूषण रहित इस्पात बनाने की जरूरत है.
इस्पात उत्पादन में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम से कम या न्यूनतम हो. इस बैठक में बात पर भी चिंता व्यक्त की गई की स्क्रैप की कमी के कारण इस्पात के उत्पादन पर भारत में असर पड़ा है. महतो ने इस्पात के बढ़ते मूल्य के कारण घरेलू बाजार में एमएसएमई उद्योग एवं विनिर्माण उद्योग पर हो रहे दुष्प्रभाव को रेखांकित किया. कहा कि कोविड-19 के पश्चात विश्व स्तर पर इस्पात की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. इस्पात की मांग बढ़ने से स्टील के मूल्य में भी बढ़ोतरी हुई है. इस्पात के निर्यात एवं मूल्य वृद्धि होने के कारण स्थानीय एमएसएमई उद्योग एवं निर्माण क्षेत्र (रियल इस्टेट) के समक्ष चुनौती की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का सुझाव



कोविड-19 के पश्चात जीएसटी का कलेक्शन लगभग 1.10 लाख करोड़ का था, जो अप्रैल में 1.68 लाख करोड़ हो गया है. जीएसटी में यह वृद्धि मूल्य वृद्धि के कारण हुआ है ना कि इस्पात में उत्पादन के कारण. इस्पात का मूल्य जहां 40000 रुपए प्रति मैट्रिक टन था वह बढ़कर 80000 मैट्रिक टन हो गया है. इसके कारण स्टील इंडस्ट्री का मुनाफा का मार्जिन लगभग 400 प्रतिशत बढ़ गया है. इस कारण से इस्पात उत्पादक इस्पात का निर्यात करना चाह रहे हैं. महतो ने सरकार को सुझाव दिया कि आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाएं ताकि विदेशों से इस्पात कम दाम पर देश में आ सके. दूसरी ओर एक्सपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाना चाहिए, जिससे बेतहाशा और अनियंत्रित निर्यात पर रोक लगे. घरेलू बाजार में इस्पात की उपलब्धता विशेषकर एमएसएमई सेक्टर और कन्स्ट्रक्शन सेक्टर के लिए उपलब्ध हो सके.



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