
Jamshedpur : सोनारी गुरुद्वारा के चुनाव को लेकर गुरदयाल सिंह एवं उनके सहयोगियों ने आगे की प्रक्रिया तेज कर दी है. इसके तहत उन्होंने बुधवार को सीजीपीसी चुनाव संचालन समिति के प्रभारी से मुलाकात की. साथ ही एक ज्ञापन सौंपकर सोनारी गुरुद्वारा साहिब के प्रधान पद का चुनाव गुरुद्वारा साहिब के संविधान के अनुसार कराने की मांग की.
गुरुदयाल सिंह ने बताया कि सोनारी गुरुद्वारा साहिब की चुनावी प्रक्रिया 2 मई से आरंभ हो गई है. इसके तहत 20 मई की शाम 6 बजे तक इच्छुक उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर सकते हैं. उनके मुताबिक सोनारी की संगत ने चुनाव की जिम्मेदारी सरदार बलबंत सिंह, सरदार हरजीत सिंह तथा सरदार सुरजीत सिंह को दी है. उन्होंने चुनाव प्रभारी सरदार भगवान सिंह तथा उनकी कमिटी से नियमानुसार चुनाव कराने की मांग की है.
प्रधान पद को लेकर दो गुटों में चल रही हैं खींचातानी


बता दें कि सोनारी गुरुद्वारा के चुनाव को लेकर तारा सिंह गिल और गुरदयाल सिंह गुट के बीच लगातार खींचातानी चल रही है. मामला सोमवार को तब नया मोड़ लेता नजर आया था, जब तारा सिंह ने प्रधान के पद को लेकर एक पत्र जारी किया था. उन्होंने अमृतसर अकाल तख्त का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है. उन्होंने 2024 तक सोनारी गुरुद्वारा का प्रधान पद संभालने की बात कही थी. हालांकि, ठीक उसके बाद ही विपक्ष के गुरदयाल सिंह और उनकी टीम ने इस मामले में हमला बोल दिया. उन्होंने तारा सिंह की बातों को नकारते हुये कहा कि उन्होंने जीत की माला वाला पहने जो फोटो वॉयरल की है वह चार साल पुरानी है. फोटो में जो चेहरे हैं वह लोग आज उनके साथ (गुरदयाल सिंह गुट) खड़े हैं. इतना ही नहीं, तारा सिंह को सोनारी की संगत को गुमराह नहीं कर चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती भी गुरदयाल सिंह गुट ने दे डाली थी. उसके बाद गुरदयाल सिंह गुट ने जिस तरह से चुनावी प्रक्रिया तेज करते हुये सीजीपीसी के चुनाव संचालन समिति के प्रभारी से मुलाकात की है वह चर्चा का विषय बन गया है. अब सबकी निगाहें दूसरे गुट की प्रतिक्रिया पर जा टिकी है.


वार्षिक आय-व्यय का लेखा-जोखा देने की मांग
इधर, गुरदयाल सिंह गुट ने गुरुद्वारा साहिब सोनारी की वार्षिक आय-व्यय का लेखा-जोखा देने की भी मांग की है. उनका कहना है कि एक्सटर्नल ऑडिटर द्वारा तैयार किया वह लेखा-जोखा 14 अप्रैल को ही प्रकाशित होना था, लेकिन आज तक प्रकाशित नहीं किया गया. इस मामले में यह भी कहा गया है कि सोनारी गुरुद्वारा की परंपरा है कि प्रत्येक वर्ष वैशाखी वाले दिन नोटिस बोर्ड पर लेखा-जोखा लगाया जाता है. इस परंपरा का इस बार निर्वहन नहीं किया गया. इससे संगत में नाराजगी का माहौल है.
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