
Jamshedpur: जमशेदपुर की आबो हवा में लोहे के कण बीते तीन साल में औसत से छह गुण तक बढ़ गये हैं. इससे यहां औसत आयु साढ़े चार साल घट गयी है. जिसके लिए टाटा समुह समेत दूसरे उद्योग से होने वाला वायु प्रदूषण जिम्मेवार है. ये दावा है निजी जांच एजेंसी सेंटर ऑफ इनवायरनमेंट एंड इनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने किया है. सीड का कहना है की जमशेदपुर की हवा में प्रदूषण 131 mg/Cu-m है जो मानक से दो गुनी है. वर्ल्ड हेल्थ ऑरगनिजेशन (WHO) के मुताबिक ये समान्य से 6 गुना अधिक है. इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार खासतौर से बड़े उद्योग हैं. जिनकी इसमें 60 फीसदी की हिस्सदारी है. सड़क पर दौड़ने वाली गाड़ियों की करीब 24 फीसदी की हिस्सदारी है. और उसके बाद निर्माण कार्य से होने वाला प्रदूषण भी वायु को दूषित कर रहा है. ये भी पता चला है कि यहां वायु में लोहे के बारीक कण सबसे ज्यादा हैं.
उद्योग क्यों है करते हैं सबसे अधिक प्रदूषण


टाटा स्टील की कंपनियों में कई तरह की गैस का इस्तेमाल होता है. जो हवा में धीरे-घीरे घुलती रहती हैं. इनमें बेहद खतरनाक गैस जैसे एल डी गैस, कार्बन मोनोओक्साइड, कोको एश गैस और ब्लास्ट फर्नेस गैस शामिल हैं. जिसके जरिए लोहा हवा तक पहुचता है. इसके अलावा गाडियों से निकलने वाला जहरीला धुआं भी है जो इंसान को सांस की सबसे अधिक हानि पहंचा रहा है.




महानगरों को पीछे छोड़ देगा जमशेदपुर
सीड कहती है की जमशेदपुर में जहरीली हवा के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार टाटा मोटर्स टाटा स्टील, टेल्को और आदित्यपुर के उद्योग हैं. दुनिया भर में होने वाली एक लाख मौतों में आज 100 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हो रही है. और हर 23 सेकेंड में एक आदमी की मौत का कारण प्रदूषण है. जो सभी प्रकार से होने वाली मौत में 5वां सबसे बड़ा कारण है. सीड का दावा है की उपायों पर ध्यान नही दिया गया तो आने वाले पांच साल में जमशेदपुर अकले वायु प्रदूषण में महानगरों को भी पीछे छोड़ सकता है.
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सीड का सुझाव
सीड कहती है की कई सारे सुझाव हैं जिससे वायु प्रदूषण से बचा जा सकता है. क्योंकि उद्योग को बंद नहीं नहीं किया जा सकता है. हां उनको जरुरी पहल करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. लेकिन फिर भी प्रदूषण के स्तर में कमी आने में लंबा वक्त लगेगा. तब तक हेलमेट के साथ मास्क का इस्तेमाल एक बेहद सटीक उपाय है. पौधारोपण भी जरूरी है.
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