
Ranchi : झारभूमिडॉटएनआइसीडॉटइन की वेबसाइट में छेड़छाड़ कर राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ व उसी आधार पर सरकारी जमीनों का नेचर बदल कर बेचे जाने के मामले में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है. राजस्व निबंधन व भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन के पत्र के आधार पर सीआईडी मुख्यालय ने जांच करने का आदेश दिया है. वहीं विभाग के द्वारा की गयी जांच में मामले की पुष्टि भी हुई अब मामले को जांच के लिए सीआइडी को भेजा गया है.
राज्य सूचना विज्ञान (एनआईसी) अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में
सीआइडी के एसपी हरदीप पी जनार्दन के नेतृत्व में टीम गठित की गयी. सीआइडी टीम ने पाया कि एनआईसी की ओर से कई अभिलेखों में सुधार नहीं किया गया. पूरे मामले में एनआईसी के अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. जांच में यह बात सामने आयी है कि अभिलेखों में छेड़छाड़ कर सर्वाधिक सरकारी जमीन को नामकुम और बड़गाई अंचल में बेचा गया है.


वहीं एनआईसी के असहयोग के कारण अधिकांश समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है. संशोधन नहीं होने के कारण जमीन संबधी मामलों के दुरूपयोग के कई मामले राज्य में सामने आ चुके हैं. कई मामलों में शिकायत आयी है कि झारभूमि वेबसाइट पर बिना अंचल अधिकारी के रिपोर्ट के ही कई तरह के राजस्व अभिलेखों की स्वीकृति दर्ज कर दी जाती है.




साफॅट्वेयर की गलती बता कर बात नहीं मान रहे अधिकारी
एनआइसी के अधिकारी सॉफ्टवेयर की गलती की बात कह रहे हैं. सीआइडी अब इस मामले में सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी से भी जानकारी लेगी. वहीं अचंल अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी . ऑनलाइन म्यूटेशन ऑनलाइन लगान ऑनलाइन निबंधन संबंधित त्रुटियों की जांच के लिए विभाग ने अगस्त 2018 में निर्णय किया था.अभिलेखो में गड़बड़ी की शिकायत के बाद भू- अर्जन, भू अभिलेख, परिमाप निदेशालय की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया था.
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क्या सामने आया जांच रिपोर्ट में
बड़गाई अंचल के मौजा बूटी के भाग संख्या एक पृष्ठ संख्या 393 में एक नयी जमाबंदी कायम की गयी है. जांच के क्रम में एनआईसी के पदाधिकारी एवं कर्मियों द्वारा पहले बताया गया कि जमाबंदी पूर्व में खोली गयी थी. वर्तमान में कर्मचारी सोहन सिंह मुण्डा द्वारा उनके पास1 जून को डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से जोड़ने के लिए भेजा गया था. जिसमें सीआई और सीईओ द्वारा डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से 6 जून तक स्वीकृति दी.
रजिस्टर टू में रैयत, खतियान में भूमि गैरमजरूआ
नामकुम अंचल के एक मामले में जो तथ्य सामने आया. उसमें नामकुम अंचल के हल्का एक ,मौजा जोरदार, थाना नंबर 178 ,भाग 1 पृष्ठ संख्या 158 में संदिग्ध जमाबंदी खोली गयी. उसकी रसीद निर्गत की जा चुकी है. मौजा का नाम आरा होना था, जबकि अभी जोरदार दिखा रहा है. रजिस्टर टू में जमाबंदी का प्रकार रैयत दिखाया जा रहा है जबकि खतियान में भूमि गैरमजरूआ है.
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म्यूटेशन के कार्य में ओटीपी की व्यवस्था होनी चाहिए
दाखिल खारिज की स्वीकृति में राजस्व निरीक्षक ,अंचल निरीक्षक द्वारा अंचल अधिकारियों को फॉरवर्ड करने के बाद अंचल अधिकारी के आईडी से वापस राजस्व अपनिरीक्षक के आईडी में भेजने का ऑप्शन नहीं है, जिसके कारण बाद मामले के निपटारा में गड़बड़ी की संभावना रहती है. इसके लिए एनआईसी को पत्राचार करना पड़ता है .
म्यूटेशन आवेदन किस माध्यम से प्राप्त हुआ है, प्रज्ञा केंद्र पब्लिक द्वारा रजिस्ट्रेशन या कार्यालय द्वारा इस संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं रहती. रजिस्टर टू एवं खतियान अपडेट एंव म्यूटेशन के कार्य में ओटीपी की व्यवस्था होनी चाहिए, जो नहीं है.
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