
प्रवीण मुंडा
Ranchi : भारतीय क्रिकेट टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा 27 नवंबर से शुरू हो रहा है. इस दौरे में भारतीय टीम को 3 वन डे, 3 टी-20 और 4 टेस्ट मैच खेलने हैं. टी-20 चार दिसंबर से शुरू होंगे. इस बार टी 20 के लिए कंगारू टीम के लिए नयी जर्सी लांच की गयी है. कंगारू टीम के तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क ने इस जर्सी के साथ अपनी तसवीरें शेयर की है और यह जर्सी काफी खास है.
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जर्सी पर हैं पेड़- पौधे और प्रकृति से जुड़े विशेष प्रतीक चिन्ह
यह जर्सी ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी खिलाड़ियों को समर्पित है. यह ऑस्ट्रेलिया की परंपरागत पीली जर्सी से काफी अलग है. इसमें पेड़ पौधे और प्रकृति के लिए विशेष प्रतीक चिन्ह उकेरे गए हैं जो ऑस्ट्रेलिया के प्रथम निवासियों के जीवन और संस्कृति को दर्शाता है. इसके अलावा इसमें 11 आदिवासी खिलाड़ियों के लिए भी प्रतीक चिन्ह बनाए गए हैं. इस जर्सी की लांचिंग के साथ क्रिकेट ऑस्ट्रलिया ने घोषणा की है-ये जर्सी ऑस्ट्रेलिया के पूर्व, वर्तमान और भविष्य के देशज खिलाड़ियों को समर्पित होगी.
ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट की इस पहल की सोशल मीडिया पर काफी प्रशंसा हो रही है. झारखंड के राकेश रोशन किड़ो अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखते हैं- हम हूल जोहार करते हैं ऑस्ट्रेलिया का जिसने खेल के बहाने आदिवासी अधिकारों का समर्थन किया है.
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यह उस राष्ट्र की महानता है : डॉ अभय सागर मिंज
डॉ श्यामा प्रसाद विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ अभय सागर मिंज ने न्यूजविंग से कहा कि यह उस राष्ट्र की महानता है कि उसने वहां के मूल भूमिपुत्रों को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभिस्वीकृति समर्पित किया है. वे कहते हैं- मेरे विचार से इस प्रकार का समृद्ध आचरण किसी भी राष्ट्र को विश्व पटल पर अनुकरणीय बनाता है. न्यूजीलैंड, कनाडा, अमेरिका भी इसी प्रकार के उदाहरण पेश करते हैं.
यहां बता दें कि 13 सितंबर 2007 को संयुक्त राष्ट्र संघ में आदिवासी अधिकारों की घोषणापत्र को पारित कराने के लिए वोटिंग हुई थी. इसमें भारत सहित 144 देशों ने पक्ष में मतदान किया था जबकि 11 देश वोटिंग से अलग रहे थे. ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड, कनाडा ने इस प्रस्ताव के विरोध में मत डाला था. बाद में न्यूजीलैंड ने अपने देश के आदिवासियों से माफी मांगी. उसने माओरी जनजाति की भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया. साथ ही सरकारी कार्यालयों में एक दिन के लिए आरक्षित किया है.
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की नयी पहल खेल के बहाने आदिवासी अधिकारों और उनके संघर्ष को सम्मान दिलाने की कवायद है.
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