
New delhi: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में भारत ने चीन और पाकिस्तान को सीधे तौर पर लताड़ा. विदेश मंत्री एस जयशंकर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के खतरा विषय पर यूएनएससी की मंत्री स्तरीय बैठक को संबोधित करने यूएनएससी पहुंचे थे. विदेश मंत्री ने कहा कि हमें आतंकवाद से इस लड़ाई में दोहरे मापदंड नहीं अपनाने चाहिए. उन्होंने कहा कि आतंकवादी तो आतंकवादी हैं. इनमें अच्छे या बुरे आतंकवादी का भेद नहीं होना चाहिए. जो ऐसा मानते हैं उनका अपना एजेंडा है और जो उन्हें छिपाने का काम करते हैं वे भी दोषी हैं. उन्होंने कहा कि हमें आतंकवाद रोधी और पाबंदी से निपटने के लिए समितियों के कामकाज में सुधार करना होगा. पारदर्शिता, जवाबदेही और कदम उठाया जाना समय की मांग है. बिना किसी कारण के सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर रोक लगाने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए। यह हमारी सामूहिक एकजुटता की साख को ही कम करता है.
चीन का दिया उदाहरण
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवादी या आतंकवादी संगठन पर पाबंदी लगाए जाने की राह में अड़ंगा लगाने की कोशिशें बंद होनी चाहिए. उन्होंने चीन का हवाला देते हुए कहा कि चीन ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों को बार-बार बाधित करने की कोशिश की थी. बता दें कि इस महीने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में भारत के अस्थायी सदस्य के तौर पर दो साल के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से मंत्री ने इसे पहली बार संबोधित किया था.
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2019 में भारत को मिली थी कूटनीतिक कामयाबी
पाकिस्तान में रह रहे आतंकवादी अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने के लिए भारत को करीब 10 साल तक मशक्कत करनी पड़ी. पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों में बार-बार अड़ंगा डाला. अंतत: मई 2019 में भारत को तब बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली जब चीन द्वारा प्रस्ताव पर रोक हटाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने अजहर के खिलाफ पाबंदी लगा दी.
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