
Naval Kishore Singh
Ranchi : असंगठित क्षेत्र के कामगारों को वृद्धावस्था में वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना का हाल झारखंड में अच्छा नहीं है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस योजना के अंतर्गत अब तक मात्र 1.29 लाख असंगठित मजदूरों का ही निबंधन हो पाया है. जबकि आंकड़े बताते हैं कि सूबे में तकरीबन 9 लाख कामगार सिर्फ भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड के तहत ही निबंधित हैं. इसके अतिरिक्त लगभग 13 लाख असंगठित कामगार भी निबंधित हैं.
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झारखंड में कुल आबादी के हिसाब से तकरीबन दस प्रतिशत लोग असंगठित कामगार के रूप में चिन्हित हैं, लेकिन इनमें से अब तक सिर्फ पांच प्रतिशत कामगार ही प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना से जुड़ सके हैं. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक काफी संख्या में कामगार अब भी इस योजना से नहीं जुड़ सके हैं. बताया जाता है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण के लिए शुरू की गयी केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के कार्यान्वयन में विभागीय अधिकारियों द्वारा कोताही बरते जाने तथा कामगारों के बीच इस योजना को लेकर जागरूकता के अभाव के कारण झारखंड में ऐसी स्थिति है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कोरोना संक्रमण काल के दौरान राज्य के कामगारों की बदहाल स्थिति को देखते हुए उन्हें हर संभव सहयोग करने और उनके लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को कारगर तरीके से अमलीजामा पहनाने के लिए सक्रिय रहे. इस दिशा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का प्रयास सराहनीय माना जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना के कार्यान्वयन में झारखंड देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे है.
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