
NewDelhi : मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं , लेकिन मुझे लगता है कि हम रसातल के करीब पहुंच गये हैं. यह विचार आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने व्यक्त किये हैं. कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था के लिए कंपनी कर में कटौती से भी आगे बढ़कर काम करे. कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए ठोस राजकोषीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है.
बिड़ला मीडिया के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस क्रम में उन्होंने कहा कि व्यापार में राजकोषीय सूझ-बूझ जरूरी है. मौजूदा समय में एक ऐसी राजकोषीय नीति की जरूरत है जिससे नरमी से निपटने में मदद मिले.
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पहले ही कह रहा हूं कि अर्थशास्त्री नहीं हूं लेकिन…




बिड़ला ने कहा, मैं पहले ही कह रहा हूं कि अर्थशास्त्री नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि हम रसातल के करीब पहुंच गये हैं. अभी अर्थव्यवस्था के लिए सरकार की तरफ से बड़े स्तर पर रोजकोषीय प्रोत्साहन देने की जरूरत है. वैसे भी राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में आधे प्रतिशत तक की ढील की छूट देता है.
बिड़ला ने कहा, कर कटौती का हमेशा स्वागत है. अगर सरकार हमें हमें और कर छूट देने का निर्णय करती है, वह स्वागत योग्य होगा. इससे हमारा नकद प्रवाह बढ़ेगा. सरकार ने काफी कुछ किया है. मैं इससे इनकार नहीं करता. लेकिन वह बड़े स्तर पर राजकोषीय प्रोत्साहन भी दे सकती है.
जान लें कि RBI ने गुरुवार को कमजोर घरेलू और विदेशी मांग के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया. कहा कि सरकार को कंपनी कर में कटौती के अलावा और बहुत कुछ करने की जरूरत है.
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10 बैंकों का चार बैंकों में विलय किया गया.
बता दें, सरकार ने छूट का दावा नहीं करने वाली कंपनियों के लिए मूल कंपनी कर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया. वहीं विनिर्माण क्षेत्र की नयी कंपनियों लिये कर की दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने कारोबार सुगम बनाने तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने को लेकर भी कदम उठाये हैं. साथ ही बैंको को मजबूत बनाने के लिए 10 बैंकों का चार बैंकों में विलय किया गया.
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