
Shashank Bhardwaj
बजट की मूल अवधारणा स्वपोषित,सतत तथा प्रभावकारी विकास की होनी चाहिए थी. फ्री बीज अर्थात लोकलुभावनी योजनाएं भारतीय राजनीति की विवशता बनती जा रही हैं. फ्री बीज की दिशा बदल कर किसानों को स्वपोषित, मूल्यवर्धन तथा जीविका से जोड़ा जा सकता है.
राजनीतिक रूप से भी ये अधिक फलदायक होगा.
टैब ,मोबाइल बांटने से अच्छा है पशुधन वितरित किया जाए. चेक डैम बनाये जाएं. सड़कें बनाई जाए.
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झारखंड में है औद्योगिक क्रांति की संभावनाएं


आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन, सब्सिडी इत्यादि के माध्यम से पूरे राष्ट्र के उद्योगपतियों को झारखंड ने उद्योग लगाने के लिए लुभाना चाहिए. बजट में इसके लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान किया जाना चाहिए.
ओडिशा के भुवनेश्वर में बड़ी-बड़ी आईटी कंपनियों के सेंटर हैं लेकिन झारखंड की राजधानी रांची में नहीं हैं जबकि रांची की जलवायु उसके लिए कहीं ज्यादा अनुकूल है.
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झारखंड में पर्यटन में असीम संभावनाएं हैं
पर्यटन सर्वाधिक बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष जीविका प्रदान करता है.सभी जानते एवं कहते हैं, कहते आ रहे कि झारखंड में पर्यटन में असीम संभावनाएं है. पर अभी इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे इसे क्षेत्र को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिला हो.
बजट में इस संबध में विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए था. जिससे देश के लोग कहें,देखो झारखंड में अमुक पर्यटन स्थल पर अद्धभुत कार्य हुआ.
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कृषि और पशुपालन पर विशेष ध्यान देना चाहिए था
पशुपालन, दुग्ध,मत्स्यपालन ,सब्जी आदि ग्रामीण व्यवस्था के आयामों पर पर्याप्त राशि व्यय की जानी चाहिए ताकि समृद्धि व जीविका का विस्तार हो.
अब बजट इसको इतना दे दिया,उसको उतना दे दिया कि घिसीपिटी अवधारणा से ऊपर उठना चाहिए. अधिकतम लाभ पहुँचा सके ,उनपर अधिकतम निवेश तथा राशि का प्रावधान होना चाहिए.
वित्त मंत्री सर, आपके झारखंड में इतने संसाधन ,योग्यता, औद्योगिक संस्कृति ,ग्रामीण जीविका के साधन हैं कि आप ऐसा बजट प्रस्तुत कर सकते थे कि लोग कह उठते वाह भाई वाह, वाह भाई वाह.
और अगले चुनाव तक कहते रहें. सुशासन तथा स्वशासन के लिए ब्लॉक चेन ,इ शासन,ऑनलाइन प्रक्रियाओं को विशेष बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए था. क्योकि अधिकांशतः विकास एवं सुशासन ही किसी सत्ता के बने रहने की कुंजी है. इसलिए नए रास्ते गढ़िए, वही अमर बनाते हैं.
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