
Nikhil kumar
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Ranchi : खराब परफॉरमेंस के नाम पर राज्य के सिटी मिशन मैनेजर के वेतन में भारी भरकम कटौती की जा रही है. अगस्त माह व सितंबर माह के वेतन में इन संविदा कर्मियों को 30 से 40 फीसदी के आसपास ही वेतन दिया गया है. अगस्त माह में तो लो परफॉरमेंस के नाम पर 20 से 30 हजार तक वेतन मिला पर,सितंबर माह में कुछ नगर निकाय के संविदा कर्मियों को तो सिर्फ 14 सौ से 15 सौ तक ही वेतन दिया गया है. जबकि इनका मूल वेतन 50 से 55 हजार के आसपास तय है. दुर्गापूजा जैसे बड़े त्योहार में वेतन कम मिलने से कर्मियों में अंदर ही अंदर भारी रोष है,वे इसे सरासर नाइंसाफी बता रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना के कारण इस साल भी अप्रैल माह से लॉकडाउन था,काम न के बराबर हुआ. जुलाई माह से कुछ कार्य प्रारंभ हुआ है. ऐसे में इतने कम समय में उनका परफॉरमेंस आकना सही नहीं है. हालांकि, इस संबंध में नगर विकास विभाग के अंतर्गत निदेशक नगरीय प्रशासन विजया जाधव का कहना है कि लाभुको का किस्त का पैसा लंबे समय से लेकर इन निकाय कर्मियों ने आवंटित या खर्च नहीं किया है. वे इसे लेकर बैठे हुए हैं. काम नहीं करेंगे तो विभाग को तो कुछ सख्ती बरतनी पड़ेगी. लेकिन परफॉरमेंस सुधरने और 50 प्रतिशत से अधिक कार्य हुआ तो उनका बकाया वेतन भी दे दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में बालू की कमी नहीं होती है. पीएम आवास योजना का काम करना आसान होता है. ऐसे में इस अवधि में काम नहीं होने से योजना में देरी होगी.
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24-25 करोड़ तक लाभुको का लेकर बैठे हैं
नगर विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कई नगर निकाय का परफॉरमेंस काफी खराब है. लगभग 15 नगर निकाय तो ऐसे हैं जो लाभुकों का घर बनाने का 24-25 करोड़ रुपये तक लेकर बैठे हैं. धनबाद,रांची,रामगढ़,जमशेदपुर,हजारीबाग आदि निकायों में स्थिति काफी खराब है. वित्तीय वर्ष में छह माह गुजर गये हैं,लेकिन ये काम सही से नहीं कर रहे हैं. कई निकायों में तो न के बराबर राशि खर्च हो पायी है.
केंद्र को भेजना पड़ता है यूसी
दरसअल, पहले पीएम आवास योजना से आवास निर्माण के आधार पर उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजा जाया जाता था. लेकिन अब प्रथम किस्त की राशि के आवंटन के बाद से ही यूसी जमा करना होता है. अगर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किया जो फिर दूसरी किस्त की राशि नहीं मिलती है. केंद्र सरकार भी लगातार इसकी मॉनिटरिंग करता है,अधिकारियों को तलब करता है. ऐसे में राशि खर्च नहीं होगी तो फिर दूसरी या तीसरी किस्त नहीं मिलेगी,जिससे आवास योजना का काम लटकेगा. लाभुकों को घर मिलने में देरी होगी.
क्या काम है मिशन मैनेजरों का
डीएयू-एनयूएलम,स्किल ट्रेनिंग, सोशल मोबाइलेजशन,एसएचजी फॉरमेशन, एसएचजी क्रेडिट लिंकेज, प्रोवाइडिंग इंडीविजुअल लोन, स्कीम फॉर स्ट्रीट वेंडर, मॉनिटरिंग ऑफ शेल्टर होम इत्यादि.
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