
Sanjay Prasad
जिस हावड़ा में कोलकाता पुलिस झारखंड के कांग्रेसी विधायकों की गाड़ी में मिले नोटों के बंडल का हिसाब तलाश रही थी, उसी वक्त हम हावड़ा में कीचड़ के दलदल में फंसे हुए थे. वैसे तो बारिश के बाद देश के अधिकतर महानगरों की स्थिति कमोबेश यहीं है, मगर कोलकाता की यह नारकीय स्थिति सोचने पर हैरान करती है कि आखिर ममता दीदी ने कोलकाता में क्या विकास किया है, या केवल मोदी-मोदी खेलती रही है. बारिश के बाद कोलकाता में न तो खेला होबे, ना मेला होबे, केवल मैला होबे का आलम था. सड़के ही नहीं, घर, बाजार सभी पानी में डुबे हुए थे. बारिश के पानी के बाहर निकलने की कोई व्यवस्था नहीं है. यह व्यवस्था वहां के निगर निगम पर भी सवाल खड़ा करती है. नाली से निकलने वाले गंदे पानी इस सिटी ऑफ ज्वॉय को नरक बनाते हैं.
इसके चलते घंटों जाम में लोग फंसे होते हैं. सड़कों पर कमर तक आ गया पानी लावारिश और सड़क पर रहनेवाले बच्चों के लिए स्वीगिंग पूल बन गये हैं. गरीब दुकानदारों और ठेला-खोमचा वालों की कमाई खत्म है. सड़कों पर ही रात गुजारने वाले इन गरीबों के बैठने-रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. कोलकाता का यह मलीन चेहरा बताता है कि चाहे ममता बनर्जी का शासन रहा हो या पूर्ववर्ती सीपीआई की सरकार, सबने शहर को नरक बनाने का काम किया है.





