
Surjit Singh
हिंदपीढ़ी. रांची शहर के बीच में बसा एक घना मुहल्ला. कोरोना मरीज मिलने की वजह से चर्चित मुहल्ला. कुछ घटनाओं की वजह से भी चर्चा में. पर, सबसे महत्वपूर्ण बात-वहां के लोग पिछले दो माह से घरों में बंद हैं. उनकी मानसिक और आर्थिक स्थिति को समझा जा सकता है. वहां रह रहे लोगों के फ्रस्टेशन व निराशा के स्तर का भी अंदाजा लगाया जा सकता है. यह एक सदमे जैसा है. यही कारण है कि हिन्दपीढ़ी बार-बार उबलने लगता है. इसे देखते हुए प्रशासन को हिन्दपीढ़ी को लेकर नये सिरे से विचार करने की जरूरत है. मुहल्ले में रह रहे लोगों के लिए नये सिरे से सोचने की जरूरत है.
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मुहल्ले के कुछ लोगों के कारनामों और एक खास वर्ग के दबाव की वजह से प्रशासन को वहां सीआरपीएफ की तैनाती करनी पड़ी. जिसके बाद वहां के लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होने लगा था. हालांकि आज की तारीख में हिन्दपीढ़ी से सीआऱपीएफ को हटा लिया गया है. कुछ छूट भी दी गयी है.
अब हिन्दपीढ़ी से कोरोना मरीजों का मिलना न के बराबर है. पर इसके हिसाब से उन्हें किसी तरह की छूट मिलने में देर हो रही है. प्रशासन को यह भी समझना होगा कि हिन्दपीढ़ी मुहल्ले में जिस तरह की सघन आबादी है, वहां लोगों का घर में बंद रहना कितना परेशान करनेवाला होता होगा. छोटे घर. कमरों की संख्या कम और रहनेवाले लोगों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा.
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हिन्दपीढ़ी मुहल्ले में मकान इस तरह हैं कि यदि दरवाजा खोलें तो वह सीधा सड़क पर ही आयेंगे, यानी चौखट को पार करने का मतलब सड़क पर कदम रखना होता है. ऐसी स्थिति में घर में बंद रहना कितना मुश्किल भरा काम हो सकता है. यह समझने की जरूरत है.
इसलिए जरूरी है कि हिन्दपीढ़ी को लेकर प्रशासन नये सिरे से विचार करे. ताकि लोगों को निराशाजनक माहौल, फ्रस्टेट करनेवाले हालात से निकलने का मौका मिल सके.
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