
Ranchi : झारखंड हाइकोर्ट ने गिरिडीह एसपी को मौखिक तौर पर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है यह कैसा न्याय है कि 11 साल बीतने के बाद भी गुमशुदा लड़की का पता नहीं चल पाया. गवाहों की ओर से कहा गया है कि लड़की भाग गयी है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है. पुलिस यह नहीं पता कर सकी है वह किसके साथ भागी है. उस युवती की मां की भी हत्या हो चुकी है लेकिन इसकी गुत्थी अब तक नहीं सुलझ पायी है. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट ने वर्ष 2011 में युवती के अपहरण से संबंधित मामले में सुनवाई की. नाराज कोर्ट ने कहा कि 1 माह के भीतर अगर लापता युवती के बारे में पता नहीं चल सका तो अदालत सख्त रवैया अपनायेगी.
संभव है की वर्ष 2011 के बाद से गिरिडीह में पदस्थापित एसपी के मेडल को भी वापस लेने को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी कर सकती है. गिरिडीह पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि मानवीय तरीके से भी यह सही नहीं है कि गुमशुदा लड़की 11 साल बाद भी बरामद नहीं हो सकी है.
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बड़े लोगों के मामले जल्द सुलझा लिये जाते हैं लेकिन छोटे लोगों के मामले पर पुलिस मौन रह जाती है. हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने बोधी पंडित की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने मामले में झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा को इस मामले के लिए अमेकस क्यूरी नियुक्त किया है.




बता दें कि गिरिडीह की एक युवती की गुमशुदगी की शिकायत वर्ष 2011 में उसकी मां ने दर्ज करवाई थी. लेकिन अब तक पुलिस उसे बरामद नहीं कर सकी है. गवाहों की ओर से कहा गया था कि लड़की किसी के साथ भाग गयी है. बाद में उसकी मां की भी हत्या हो गयी.
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