Ranchi. झारखंड हाईकोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले के दो अभियुक्तों मनोज यादव उर्फ मनोज कुमार और प्रदीप राम की जमानत पर सुनवाई पूरी कर ली है. अदालत ने दोनों आरोपियों की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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मनोज यादव और प्रदीप राम टेरर फंडिंग मामले के प्रमुख अभियुक्त हैं और झारखंड हाईकोर्ट में इनका मुकदमा अधिवक्ता रोहन मजूमदार लड़ रहे हैं. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायधीश जस्टिस एचसी मिश्रा एवं जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने एनआईए एवं अभियुक्तों और से दी गई सभी दलीलों को सुनने के बाद जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा है.
मनोज कुमार लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी था
मनोज कुमार की गिरफ्तारी 6 लाख और अन्य दस्तावेज के साथ हुई थी. मनोज पर आरोप है कि उसने भाकपा माओवादी के नक्सली कृष्णा हांसदा के निर्देश पर ठेकेदारों से लेवी वसूल की थी. जांच के दौरान, यह भी पता चला था कि गिरफ्तार आरोपी मनोज कुमार रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी भी रह चुका है. वह गिरिडीह इलाके में कंस्ट्रक्शन फर्म और माओवादियों के बीच मध्यस्थता का काम करता था. इसका खुलासा तब हुआ जब मनोज भाकपा माओवादी को 6 लाख रुपये का लेवी भुगतान करने जा रहा था.
इसी दौरान उसे पकड़ लिया गया था. भाकपा माओवादी द्वारा एकत्र की गयी लेवी की राशि का उपयोग हथियारों और गोला-बारूद, विस्फोटकों की खरीद, माओवादी के प्रभाव को बढ़ाने के लिए नये कैडर की भर्ती और सुरक्षा में खलल डालनेवाली गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. दोनों अभियुक्तों के खिलाफ यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है एवं देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए इस मामले में जांच कर रही है.