
Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े दो मामलों की सुनवाई गुरूवार को हुई. इसमें माइंनिंग लीज और आय से अधिक संपंत्ति का मामला रहा. देश के तीन प्रख्यात अधिवक्ताओं ने सुनवाई भाग लिया. सरकार का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए समय की मांग की. सिब्बल ने कहा कि उनकी ओर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, इसलिए उन्हें समय दी जाए. मालूम हो कि सिब्बल ने सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मामले को खारिज करने की याचिका दायर की है.
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई में इडी की ओर से अधिवक्ता सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने पक्ष रखा. सरकार की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल व सीएम हेमंत सोरेन की ओर से अधिवक्ता मुकुल रहतोगी ने पक्ष रखा.
सुनवाई के दौरान रांची डीसी छविरंजन की रिपोर्ट पर कोर्ट ने सवाल पूछा कि जब डीसी खुद चार्जशीटेड है तो कैसे मामले में रिपोर्ट कर सकते हैं. इस मामले को लेकर कोर्ट ने डीसी के खिलाफ नोटिस जारी करने की बात कही है. इधर, ईडी के अधिवक्ता तुषार मेहता ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया है. साथ ही सीलबंद लिफाफे में ईडी की रिपोर्ट सौंपी है. मेहता ने बताया है कि रिपोर्ट कोर्ट के लिए है सरकार के लिए नहीं. राज्य सरकार ने अदालत से ईडी की ओर से पेश रिपोर्ट की मांग की है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 मई तय की है.


मालूम हो कि दोनों की मामलों के प्रार्थी शिव शंकर शर्मा है. जिनके अधिवक्ता राजीव कुमार है. माइनिंग लीज से जुड़ा मामला झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं. उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल की. ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए. प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है.




शेल कंपनी से जुड़ा है मामला: यह याचिका भी याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी. अधिवक्ता राजीव कुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है. यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है और इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाया जा रहा है. इसलिए याचिका के माध्यम से अदालत से जांच की मांग की गई है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है. इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.