
Ranchi : केंद्र की नीतियों पर पिछले कई माह से हमलावर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि बीजेपी एक सुनियोजित तरीके से झारखंडियों के हक-अधिकार पर हमला कर रही है.
बीते दिनों कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर, जीएसटी बकाया को रोक कर केंद्र ने अपनी मंशा साफ कर दी थी. लेकिन इस पर भी केंद्र में बैठी भाजपा का मन नहीं भरा तो दुमका, पलामू, हज़ारीबाग़ के मेडिकल कॉलेजों की एनएमसी के माध्यम से वह मान्यता हटाने पर तुली है.
हेमंत ने सवाल खड़ा किया है कि झारखंड में AIIMS अभी बना भी नहीं हैं, मगर वहां मान्यता मिली हुई है. आखिर इसका क्या अर्थ है?
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केंद्रीय संस्थानों पर हैं 74,000 करोड़ बकाया, इसपर बीजेपी नेताओं ने नहीं उठायी आवाज
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों-वंचितों पर बीजेपी की यह कुदृष्टि इनकी हारी हुई मानसिकता को दिखाती है. पिछले दिनों झारखंड से बिना पूछे यहां के कोयला खदानों की नीलामी शुरू करने की कोशिश की गयी. डीवीसी पर 5000 करोड़ का बकाया लाद कर राज्य को गिरवी रखने का काम भाजपा ने किया, लेकिन इस कोरोना की संकट में केंद्र ने रात के अंधेरे में झारखंड के 1400 करोड़ रुपये काट लिये. जबकि हकीकत यही है कि आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर 50-50 हज़ार से अधिक का बकाया है. हेमंत ने कहा कि राज्य का लगभग 74,000 करोड़ रूपये बकाया केंद्रीय संस्थानों पर है. लेकिन इसपर बीजेपी नेताओं ने कभी भी आवाज नहीं उठायी.
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अपने अधिकार हम लड़कर लेंगे
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हार से बौखलाई व डरी हुई बीजेपी चाहे जो चाहे कर लें, लेकिन हमारी सरकार मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे बच्चों की जिंदगी को ऐसे ही बर्बाद नहीं होने देगी. अपने अधिकारों के लिए जो भी जायज कदम उठाने होंगे, हम उठायेंगे. झारखंड ने संघर्ष करना सीखा है. अपने अधिकारों को हम लड़कर लेंगे.
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