
Ranchi: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में बालू,गिट्टी की समस्या पर चिंता जताई है. रविवार को एक प्रेस बयान में कहा कि राज्य में बालू और गिट्टी की अनुपलब्धता राज्य के विकास को और पीछे ढकेल रही है. इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है. 2020 से न तो बालू घाटों की बंदोबस्ती हुई है, न पत्थर खदानों की नीलामी. सरकार के संरक्षण में अवैध बालू एवं गिट्टी का कारोबार की खबरें लगातार सामने आती रही हैं. अवैध बालू एवं गिट्टी बांग्लादेश तक भेजा जा रहा है. अब ईडी द्वारा इसकी जांच-पड़ताल करने एवं लगातार समाचार पत्रों में धंधे का खुलासा होने पर दिखावे के लिए छापेमारी की जा रही है. सरकार अगर दूरदर्शी सोच रखती और समय पर बालू घाटों की बंदोबस्ती एवं पत्थर खदानों की नीलामी की होती तो आज बालू-गिट्टी के लिए हाहाकार नहीं होता. वर्तमान सरकार न चल रही है, न ही रेंग रही है. सिर्फ नींद में विभोर है.
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सरकारी योजनाओं पर भी असर


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री ग्राम्य सेतु योजना और अन्य सरकारी योजनाओं का निर्माण कार्य बालू गिट्टी के भाव में दम तोड रहा है. बालू और गिट्टी की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ प्रति दिन चौदह से पंद्रह सौ आवास बन रहे थे, वहीं अब यह घटकर पांच सौ से नीचे पहुँच गया है. इसी प्रकार मुख्यमंत्री ग्राम्य सेतु योजना के तहत बनने वाली पुल-पुलिया का निर्माण कार्य लगभग ठप है. जहाँ काम हो रहा है, वहां काम करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. सरकारी निकम्मेपन की वजह से रियल एस्टेट का कारोबार लगभग ठप है. जो लोग निजी घर के निर्माण का सपना देख रहे थे, उनका सपना टूट कर बिखर रहा है.




सरकारी निर्माण कार्य, रियल एस्टेट कारोबार और निजी आवास निर्माण के क्षेत्र का कार्य प्रभावित होने के कारण राज्य के लगभग बीस-बाईस लाख मजदूर बेकार हो गये हैं. इन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है. दूसरी तरफ बालू-गिट्टी सप्लाई करने वाले ट्रैक्टर एवं हाइवा वाहन सड़क पर खड़े हो कर धूल फाँक रहे हैं. इन ट्रैक्टर एवं हाइवा के मालिकों ने जिस कारोबार को बड़े अरमान से खड़ा किया था, उसे कोस रहे हैं. कारोबार ठप होने के कारण इनके लिए बैंकों का किस्त भुगतान करना मुश्किल हो गया है.
सरकार पर अकर्मण्यता का आरोप लगाते हुए रघुवर ने कहा कि सरकार मुस्तैद होती तो आज राज्य की विकास योजनाओं और रियल एस्टेट की यह दुर्गति नहीं होती. राज्य में पत्थर खदान की संख्या लगभग चार सौ है. विगत तीस मार्च को इनमें से साठ प्रतिशत (जो 241 खदान होता है) की लीज अवधि समाप्त हो गयी है. इन 241 पत्थर खदान से प्रतिदिन औसतन 32 हजार 32 टन पत्थर का खनन होता था. लीज समाप्ति के बाद इन खदानों के खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बालू घाटों की बंदोबस्ती लंबित होने के कारण राज्य में बालू की कालाबाजारी बढ़ गयी है. तीन से चार गुणा अधिक दाम देकर बालू खरीदनी पड़ रही है. इन खदानों की नीलामी की प्रक्रिया कब तक खत्म होगी, यह भविष्य के गर्भ में है. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे इन खदानों की लीज प्रक्रिया तथा बालू घाटों की बंदोबस्ती यथाशीघ्र पूरी करायें ताकि राज्य में बालू-गिट्टी की कमी की समस्या दूर हो सके.
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