
Ranchi : झारखंड हाइकोर्ट में चैता बेदिया द्वारा दाखिल हैवियस कॉर्पस याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके सिंह और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने इसे निष्पादित कर दिया. इस दौरान सरकार ने प्रतिवादी, सीडब्ल्यूसी की सीलबंद रिपोर्ट अदालत के समक्ष सौंपी. सीडब्ल्यूसी द्वारा पेश किये गये जवाब पर अदालत ने संतुष्टि जाहिर की.
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वहीं सीडब्ल्यूसी के आग्रह पर नाबालिग को हाइकोर्ट ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ाने का आदेश दिया. नाबालिग युवती सिर्फ छुट्टियों में ही अपने घर जा सकेगी. इस बीच सीडब्ल्यूसी एवं डालसा हर माह बच्ची की मॉनिटरिंग करेगी.
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क्या है मामला
आपको बता दें कि चैता बेदिया ने 19 अगस्त को अपने परिवार के सदस्यों को पुलिस द्वारा उठा कर ले जाने और इसकी जानकारी नहीं देने का आरोप लगाते हुए झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी.
चैता बेदिया ने याचिका दायर कर (हैवियस कॉर्पस) परिजनों को कोर्ट के समक्ष पेश करने का आग्रह किया है. राज्य के डीजीपी, रांची के एसएसपी, ग्रामीण एसपी और अनगड़ा थाना प्रभारी को प्रतिवादी बनाया है.
श्री बेदिया ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि कुछ पुलिसकर्मी उसके घर पहुंचे और उनके पिता शिवाली बेदिया, बहन पुष्पमनी, पत्नी सुपोती देवी, और उसके दो बच्चों को जबरन अपने साथ ले गयी.
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उधर प्रार्थी ने ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कर कहा कि पुलिस उनके परिजनों को जबरन उठा कर ले गयी है और प्राथमिकी दर्ज करने का दबाव बनाया जा रहा था. जिस समय पुलिस उनके घर पहुंची उस समय वह घर में नहीं थे.
14 अगस्त को वह काम के सिलसिले में गिरिडीह गये थे. 15 अगस्त को उन्हें पुलिस के आने और परिजनों को ले जाने की सूचना मिली.
उनके परिजन कहां हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. अदालत से उन्होंने परिजनों की तलाश कर कोर्ट के सामने पेश करने का आग्रह किया है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने परिजनों को उठाने का कोई कारण नहीं बताया है और सभी लोग अभी कहां हैं इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है.
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उन्हें पता चला है कि बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी के खिलाफ गलत मामला दर्ज करने के लिए परिजनों को उठाया गया है.
उनके खिलाफ फर्जी मामला दर्ज किया गया है. प्रार्थी का कहना है कि सुनील तिवारी के घर पर रह कर उनके भाई ने पढ़ाई की है और वह अभी चेन्नई में नौकरी कर रहा है.
उसकी पढ़ाई का खर्च भी सुनील तिवारी ने ही वहन किया था. उनका छोटा भाई और बहन भी सुनील तिवारी के घर में अभी भी रह रहे हैं और उनकी पढ़ाई का खर्च भी वह वहन कर रहे हैं.
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