
Hazaribagh : ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज झोलाछाप कहे जाने वाले चिकित्सकों के इलाज के भरोसे हैं. लोगों का का कहना है कि नकारा बेटा और खोटा सिक्का कभी न कभी वक्त पर काम आ जाता है. यह उक्ति वर्तमान परस्थिति के मुताबिक सत्य है.
ग्रामीण चिकित्सक जिसे लोग झोलाछाप डॉक्टर कह कर उनका मनोबल गिराते थे. प्रशासन द्वारा कई बार फर्जी डिग्री को लेकर छापामारी भी की गई. कितने पर मुकदमा किया गया, साथ हीं कितने अभी भी जेल के सलाखों के पीछे हैं. वर्तमान समय और परिस्थिति में यही झोलाछाप ग्रामीण चिकित्सक लोगों के जान बचाने में अपनी सेवा देकर जी-जान से लगे हुए हैं.
वर्तमान कोरोना संकटकाल में जहां नामचीन चिकित्सक सामान्य बीमारी में भी रोग से पीड़ित लोगों को देखते ही नाक भौं सिकोड़ते किनारा ले रहे हैं, वहीं ये झोला छाप चिकित्सक सक्रिय हैं.


शहरी चिकित्सा करने के नाम पर रुपयों का लूट करने की बात सामने आ रही है. भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर से आज बगैर रुपये का जान बचाना बड़ा मुश्किल है. ऐसे में अपने कार्य अनुभव के आधार पर और जानकारी को रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सक जिसे झोलाछाप डॉक्टर कहा जाता रहा है वह लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं.




सामान्य रोग हो या प्रारंभिक इलाज, हर क्षेत्र में इनके सहृदय मधुर व्यवहार और दिन हो या रात कभी भी सेवा में उपस्थित होने का चिकित्सा धर्म का पालन ये लोग कर रहे हैं. इलाज करने में जरा भी नहीं हिचकते हैं. आज बड़े-बड़े नर्सिंग होम और नामी-गिरामी चिकित्सक सामान्य और गरीब आदमी की पहुंच से दूर हैं. ऐसी हालात में यही झोलाछाप चिकित्सक के भरोसे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की जान बच रही है.
ग्रामीण चिकित्सक के रूप में मान्यता देते हुए यदि इनकी चिकित्सीय सेवा ली जाती है तो ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का भला होगा. प्रारंभिक इलाज के लिए लोगों को जो दूर तक दौड़ लगानी पड़ती है, वह रुक सकेगा. साथ ही साथ ग्रामीण चिकित्सकों का भी मनोबल बढ़ जाएगा.