
Pritam kumar
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Lohardaga : मां की ममता कभी कम नहीं पड़ती. मां की गोद और मां का आंचल कभी छोटा नहीं होता. लोहरदगा के कैरो निवासी मधुलिका रानी ने इसे साबित कर दिखाया है. मधुलिका ने अपनी तीन संतानों के रहते हुए भी गरीब परिवार की बेटी को गोद लिया और अपनी बेटी की तरह इसकी परवरिश कर रही हैं.
6 साल की उम्र में लिया गोद
जिसके पास मां की ममता है उससे बड़ा धनवान और कोई नहीं हो सकता. लातेहार जिले की सुमित्रा को मधुलिका रानी और उनके पति और समाजसेवी शरद कुमार विद्यार्थी ने तब गोद लिया था जब वह छह साल की थी. अब सुमित्रा 16 साल की हो चुकी है.
मधुलिका और शरद ने न केवल माता पिता की तरह सुमित्रा को पाल पोस कर बड़ा किया बल्कि अच्छी शिक्षा और संस्कार भी दिए. सुमित्रा ने मैट्रिक की परीक्षा लिखी है. पेंटिंग में इसे बहुत रुचि और हुनर है. सुमित्रा कहती है कि उसे कभी एहसास नहीं हुआ कि शरद और मधुलिका उसे जन्म देने वाले माता-पिता नहीं हैं.
अब तो प्रेम जितना प्रगाढ़ हो चुका है कि खुद को उनसे अलग सोच ही नहीं सकती. अपने जन्मदाता माता-पिता से भी सुमित्रा मिलती है. वह अपने आप को भाग्यशाली मानती है और अपने जन्मदाता रखने परवरिश करने वाले माता-पिता का सम्मान बढ़ाने के लिए जीवन में कुछ कर दिखाना चाहती है.
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सुमित्रा को पढ़ा लिखा कर कामयाब इंसान बनाना चाहती हूं
मधुलिका रानी कहती हैं कि सुमित्रा को गोद लेकर बेटी की तरह परवरिश करने की प्रेरणा उन्हें अपने पति और परिवार से मिली. खुद तो बहुत ज्यादा पढ़ नहीं सकीं मगर अपने बच्चों के साथ-साथ सुमित्रा को पढ़ा लिखा कर कामयाब इंसान बनाना चाहती हैं.
समाज में आज भी लड़कियों के प्रति ज्यादातर लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव नहीं दिखता है, मधुलिका ने पराई बेटी को अपनी बेटी बनाकर परवरिश कर समाज के सामने एक नजीर पेश की है. बेटी तो बेटी होती है और मां की ममता का दायरा कभी नहीं सिमट सकता. जो भी उसकी गोद में आ जाए, आंचल में समा जाए वह ममता की छांव पाकर सौभाग्यशाली हो जाता है.
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