
NEW DELHI : मुंबई की एक हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले 390 लोगों को फर्जी तरीके से वैक्सीन लगाए जाने की खबर के बाद दिल्ली में हड़कंप है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग से पूरी रिपोर्ट मांगी है. गृह मंत्रालय भी पूरे मामले पर नजर रख रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इस बात का डर है कि फर्जी वैक्सीन लगाने वाला गिरोह किसी दूसरे राज्य में भी पहुंचकर इस तरह का घोटाला न कर डाले.
गलत तरीके से लगाया जा रहा वैक्सीन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को मिली जानकारी के मुताबिक 30 मई को मुंबई के कांदिविली इलाके में स्थित हीरानंदानी हाउसिंग सोसायटी परिसर में 390 लोगों को कोविशील्ड का टीका लगाया गया. सोसायटी में रहने वालों के मुताबिक, राजेश पांडे नाम के एक शख्स ने खुद को कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल का प्रतिनिधि बताते हुए सोसायटी कमेटी के सदस्यों से संपर्क साधा था. इस टीकाकरण अभियान का संचालन संजय गुप्ता ने किया, जबकि महेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति ने सोसायटी के सदस्यों से पैसा लिया था. इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. साथ ही, दो लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.


ऐसे खुला फर्जी वैक्सीनेशन का राज ?




सोसायटी के लोगों को उस वक्त शक हुआ जब टीका लगने के बाद किसी के मोबाइल पर कोई संदेश नहीं आया . लोगों को टीका लेते समय सेल्फी लेने से भी रोका गया. सोसायटी में रहने वाले हितेश पटेल ने बताया कि मेरे बेटे को भी टीका लगा था. हर डोज के लिए हमसे 1260 रुपये लिए गए. टीका लगने के बाद हमारे मोबाइल पर किसी भी तरह का मैसेज नहीं आया. इसके अलावा टीका लगवाने के दौरान हमने किसी भी तरह की सेल्फी या फोटो खींचने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने बताया कि सोसायटी के 390 लोगों ने 1260 रुपये प्रति टीके के हिसाब से भुगतान किया. ऐसे में पांच लाख रुपये की ठगी होने की आशंका जताई जा रही है. लोगों को संदेह तब हुआ, जब किसी भी शख्स में टीके के बाद होने वाले लक्षण नहीं दिखे.
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टीका लगने के बाद जब किसी तरह के लक्षण और साइड इफेक्ट नजर नहीं आने तो हर कोई हैरान था. इसके बाद मामले की पड़ताल शुरू की गई, क्योंकि किसी को भी टीका लगवाने के तुरंत बाद प्रमाण पत्र नहीं मिला. 10-15 दिन बाद प्रमाण पत्र आए तो वे अलग-अलग अस्पतालों जैसे नानावती, लाइफलाइन, नेस्को बीएमसी टीकाकरण केंद्र की ओर से जारी किए गए थे. इस मामले में संबंधित अस्पतालों से संपर्क किया तो उन्होंने सोसायटी को टीके उपलब्ध कराने से इनकार किया.
बहरहाल, उस घटना के सामने आने के बद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय हरकत में है. भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने व टीकाकरण के दिशानिर्देशों में कुछ बदलाव पर भी विचार शुरू हो गया है.