
Ranchi: 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. राज्य के कई हिस्सों में आज रक्दान शिविर का आयोजन किया जा रहा है.
लोग खून इसलिए देते हैं ताकि मरीजों को खून की कमी न हो और खून के आभाव में किसी मरीज को परेशानी ना हो, उनका इलाज ना रुके. ब्लड की कमी के कारण किसी की जान न चली जाये.
एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग ने एक निर्देश जारी किया है कि अब अस्पताल बिना रिप्लेसमेंट के मरीजों के खून की व्यवस्था स्वयं करेगा. मरीज के परिजन को बाध्य नहीं किया जाएगा.
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रिम्स कर रहा नियम की अनदेखी
लेकिन राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल ही इस नियम की अवहेलना कर रहा है. मरीजों को खून नहीं मिलने से ऑपरेशन टाल दिये जा रहे हैं. जिनके पास डोनर हैं उनको भी खून नहीं मिल रहा.
अब रिम्स ब्लड बैंक, मरीजों से सेम ब्ल्ड ग्रुप के डोनर को लाने को मजबूर कर रहा है. किसी अन्य ग्रुप के डोनर होने पर खून नहीं दिया जा रहा.
पहले किसी भी ग्रुप के डोनर से आसानी से मिल जाता था खून
रिम्स ब्लड बैंक से अगर आपको खून चाहिए तो सेम ब्लड ग्रुप के डोनर को अपने साथ लाना होगा.
किसी अन्य ग्रुप के डोनर होने पर आपको खून नहीं मिलेगा. लेकिन पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी. पहले किसी भी ग्रुप के डोनर के बदले खून दे दिया जाता था. अस्पताल में प्रतिदिन दर्जनों ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें डोनर होने के बावजूद खून नहीं मुहैया कराया जाता.
इनहाउस पेशेंट के लिए अस्पताल को ही करनी है व्यवस्था
राज्य के सभी अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग और एनएचएम के द्वारा सख्त निर्देश दिये गये थे कि सभी अस्पतालों को जरुरत के हिसाब से खून की व्यवस्था खुद करनी है.
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किसी भी मरीज को स्वयं खून के लिए राज्य का कोई भी सरकारी या प्राईवेट अस्पताल बाध्य नहीं कर सकता. इसको लेकर अस्पताल प्रशासन और विभाग के साथ सहमति भी बनी है. पर रिम्स जैसा अस्पताल भी इसका पालन नहीं कर रहा है.
जरुरत से अधिक दाम ले रहे निजी अस्पताल
रिम्स डोनर होने के बाद भी खून नहीं दे रहा. और प्राईवेट अस्पताल डोनर लेने के बाद भी जमकर लूट रहा है. एनएचएम के निर्देश के अनुसार, अपर सिलिंग जो रेट तय है उसके अनुसार सबसे अधिक दाम जो तय किये गये हैं वो 1250 है.
लेकिन सभी प्राईवेट अस्पताल विभाग द्वारा तय इस रेट को फॉलो नहीं कर रहे. अधिकतर प्राईवेट अस्पताल 2000 रुपये के करीब चार्ज कर रहे हैं, और उनपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो रही.
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