
Apoorva Bhardwaj
प्रधानमंत्री, मोदी जी
आज आपके एक और साहूकार (व्यापारीयों के लिए हाहाकार) GST का तीसरा जन्मदिन है. तो सबसे पहले आपको और GST को लख-लख बधाई. आज इस महान अवसर पर आपको सलाह रूपी गिफ्ट देना चाहता हूं. आशा करता हूं आप स्वीकार करेंगे.


मोदी जी, आप जब चाहें, जितना भी चाहें और कैसे भी हमसे टैक्स ले लीजिए और उनको बड़े अच्छे-अच्छे, प्यारे-प्यारे, छोटे-छोटे बच्चों जैसे सुंदर अंग्रेजी नाम भी दे दीजिये. आप GST लें, VAT लें, इनकम टैक्स लें, सर्विस टैक्स लें, सेस लें, फलाना ढिकाना टैक्स लें, यह सब डायरेक्ट लें या इनडाइरेक्ट लें. हम सब देने को तैयार हैं और नहीं भी तैयार हैं, तो क्या आप हमें ऐसे ही छोड़ देंगे?




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मोदी जी, टैक्स देने में किसी को कोई आपत्ति नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए. असली मुद्दा है टैक्स का वितरण और उसकी जवाबदेही. आपसे एक सीधा सा सवाल है कि जितना पैसा और संसाधन आपने टैक्स इकठ्ठा करने के लिए खर्चा किया, क्या उतना ही उसके वितरण और जबाबदेही पर खर्च किया है? जब हमसे लिया जानेवाला सारा टैक्स हम ऑनलाइन देख सकते हैं तो वो कहां खर्च हुआ, कैसे ख़र्च हुआ उसका विवरण भी तो होना चाहिए. अब आप हमें बजट का झुनझुना मत पकड़ा देना कि पैसा कहां से आता है और कहां जाता है. सब तो बजट में बता देते हैं.
मोदी जी, मैं अपने चुकाए हुए टैक्स की बात कर रहा हूं. पूरे देश के टैक्स का एक साथ खर्च दिखा कर सरकारों ने सबको बहुत मूर्ख बना लिया. आपकी सरकार जैसे मुझसे कितना टैक्स लेना है, वो यूनिट वाइज बता देती है, वैसा ही हर यूनिट वाइज उसे कहां-कहां खर्च किया और कौन उसके लिए जिम्मेदार है. नामवार विवरण बता दीजिए तो हम भी जरा उनके पास पहुंच कर उनसे हिसाब किताब मांग सकें.
आप हम सबसे हर तीन महीने या हर ट्रांजैक्शन पर टैक्स का हिसाब किताब मांगते हैं, वैसी जवाबदेही का भी तो सिस्टम बनाइये. तकनीकी से जुड़ा व्यक्ति हूं तो यह जानता हूं कि दुनिया में कोई भी सिस्टम एकतरफा नहीं होता है. आप जिन देशों की नकल करके GST लाये थे, पहले जा कर उनके सिस्टम को भी पढ़ लें, वो अपने टैक्स देने वालों को क्या क्या सुविधा देते हैं.
सर जी नकल में भी अकल लगती है. लेकिन नकल भी अपने हिसाब से करोगे तो यह तो नहीं चलेगा ना. आप हमसे भले 28% के बदले 50% टैक्स लें लेकिन शिक्षा, स्वास्थ और सुरक्षा भी उन देशों जैसा दें. अब आप हमें वही घिसा पिटा बहाना मत देना कि इन सबमें समय लगता है. चलो एक बार यह भी मान लिया. लेकिन जवाबदेही और खर्च का ऑनलाइन सिस्टम तो बना ही सकते हैं या उसमें भी कोई बहाना बनायेंगे?
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अगर आप की सरकार से नहीं हो रहा है तो हम जैसे स्किल्ड लोगों को मौका दीजिये यकीन मानिये पूरा सिस्टम 6 महीने में तैयार हो जायेगा. बजट आनेवाला है आप को मेल भी किया है. समय मिले तो पढ़ लीजियेगा. मोदी जी आप सवा सौ करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री हैं. टेक्नोसेवी भी हैं. भारत के लोगों को यह तो जानने का हक होने चाहिए कि उनकी गाढ़ी मेहनत की कमाई आखिर कहां खर्च हुई और कैसे खर्च हुई.
मेरा इस पोस्ट को पढ़नेवाले हर पाठक और ईमानदारी से टैक्स चुकानेवाले प्रत्येक नागरिक से भी निवेदन है कि अपनी कामवाली बाई और नौकरों तक से पाई-पाई का हिसाब मांगनेवाले हम लोग उतनी सजगता से अपने नेताओं से भी हिसाब मांगने लगें तो पूरे सिस्टम की जवाबदेही तय हो जायेगी.
मोदी जी मैंने तो आपको GST और सलाह रूपी गिफ़्ट दोनों दे दिया है. आशा है आप हमें जवाबदेह सिस्टम का प्रावधान करके रिटर्न गिफ्ट जरूर देंगे.
आपका
एक ईमानदार करदाता.
डिस्क्लेमरः यह टिप्पणी मूल रूप से अपूर्व भारद्वाज के फेसबुक वॉल पर प्रकाशित हुआ है.
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