
Varanasi: मस्जिद विवाद मामले में वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने सोमवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. वाराणसी जिला जज की अदालत आज (मंगलवार) फैसला सुनाएगी कि ज्ञानवापी मामले से जुड़ी किस याचिका पर पहले सुनवाई होगी. सोमवार को ज्ञानवापी परिसर विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में तकरीबन 45 मिनट तक दोनों पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि जिला जज अपने हिसाब से सुनवाई करें. कोर्ट ने अपने सुझाव में कहा था कि जिला कोर्ट को सीमा से आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. इस पूरी कार्यवाही के दौरान दोनों समुदायों के बीच शांति और भाईचारा बना रहना चाहिए. हमे संतुलन बनाए रखना चाहिए. वहीं, हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि वाराणसी कोर्ट की सोच पर सवाल नहीं उठाना चाहिए था.
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने दाखिल की याचिका



श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी सोमवार को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के स्नान, भोग-राग, शृंगार और पूजापाठ का अधिकार उन्हें दिया जाए. उन्होंने कहा कि हम न्यायिक तरीके से अपने भगवान विश्वेश्वर की पूजा का अधिकार मांगने आए हैं.



ओवैसी, अखिलेश समेत आठ पर नामजद मुकदमे की मांग
ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे के बीच अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम उज्जवल उपाध्याय की अदालत में असदुद्दीन ओवैसी उनके भाई अकबरुद्दीन, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत आठ नामजद और दो हजार अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का अनुरोध किया गया है.
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में आवेदन देकर कहा कि जहां शिवलिंग मिला है, वहां जाकर हाथ पैर धोना और गंदा पानी का वहां जाना देखकर काशी व देशवासियों का मन पीड़ा से भर गया, जिससे असहनीय कष्ट है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का शिवलिंग को लेकर दिया गया बयान हिंदुओं की भावनाओं को आहत करता है. सांसद ओवैसी व उनके भाई लगातार हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के खिलाफ अपमानजनक बातें कर रहे हैं. उन्होंने उक्त लोगों पर धार्मिक भावना भड़काने का भी आरोप लगाया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है.