
NewDelhi : 2002 के गुजरात दंगे को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने पर मुझ पर झूठे आरोप लगाये गये. यह कहना है दंगों की जांच के लिए बनायी गयी एसआईटी के प्रमुख रहे पूर्व सीबीआई प्रमुख आरके राघवन का है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, आरके राघवन ने इस सप्ताह आयी अपनी किताब ए रोड वेल ट्रेवल्ड में इन बातों के अलावा कई रहस्य खोले हैं.
राघवन ने यह भी लिखा है कि बोफोर्स घोटाला जिसकी वे जांच कर रहे थे, उसमें यूपीए सरकार ने गड़बड़ी की थी. बता दें कि राघवन ने गुजरात एसआईटी से मार्च 2017 में इस्तीफा दे दिया था और उन्हें अगस्त में मोदी सरकार ने साइप्रस का उच्चायुक्त नियुक्त कर दिया था.
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एसआईटी ने फरवरी 2012 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी
जान लें कि एसआईटी ने फरवरी 2012 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसमें मोदी और 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट दी गयी थी. उनमें कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कोई कानूनी सबूत नहीं था.
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मुझ पर मुख्यमंत्री का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया
पूर्व सीबीआई निदेशक ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी द्वारा गुजरात दंगों की जांच पेशेवर थी. कहा कि मुख्यमंत्री की भूमिका पर एसआईटी का स्पष्ट रुख था, जो राज्य और दिल्ली में मोदी के विरोधियों के लिए अनुसार नहीं था. राघवन ने कहा, उन्होंने मेरे खिलाफ याचिकाएं दायर कीं,
मुझ पर मुख्यमंत्री का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया ऐसी अटकलें थीं कि उन्होंने टेलीफोन पर होने वाली मेरी बातचीत की निगरानी के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग भी किया. हालांकि कुछ भी नहीं मिलने से वे निराश थे.
सबूत नहीं मिला कि दंगों की साजिश में मोदी सरकार शामिल थी
राघवन के अनुसार जांच के दौरान उन्हें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था जो यह साबित कर सके कि 2002 के गुजरात दंगों की साज़िश में तत्कालीन मोदी सरकार शामिल थी. ए रोड वेल ट्रेवल्ड नामक अपनी जीवनी में उन्होंने लिखा है, मेरे ख़िलाफ़ झूठे आरोप लगाये गये. राघवन ने लिखा है कि उन्होंने यह तर्क मानने से इनकार कर दिया था कि मुस्लिम समुदायों को निशाना बनाने वाले दंगाइयों के साथ राज्य प्रशासन की मिलीभगत थी. उन्होंने कहा कि शुरू में उनके खिलाफ झूठे आरोपों को हवा दी गयी और बाद में खुले तौर पर आरोप लगाये गये. राघवन के अनुसार सौभाग्य से उन्हें SC का साथ मिला.
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