
Jamshedpur: संसद में केन्द्र सरकार ने पानी की गुणवत्ता को लेकर जो आंकड़े बताए हैं, वे चौंकाने वाले है. सरकार के मुताबिक हम जो पानी पी रहे हैं वो ‘जहरीला’ हो गया है. झारखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों के ज्यादातर जिलों में भूजल (ग्राउंड वॉटर) में जहरीली धातुएं (टॉक्सिक मेटल्स) ज्यादा मात्रा में पाई गई हैं. भारत की ज्यादातर जनसंख्या जमीन से निकले पानी (Ground Water) को सीधे पीती है. भारत सरकार के इस आंकड़ें ने जमीन से निकलने वाले पानी को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने राज्य सभा में बताया है कि देश के सैकड़ों जिले ऐसे हैं जिनमें ग्राउंड वाटर खतरनाक रूप से जहरीला हो गया है. इन जिलों के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक (Arsenic) और आयरन की मात्रा इतनी ज्यादा हो गई है जो इंसान को बीमार कर सकती है. 209 जिलों के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक और 491 जिलों के ग्राउंड वाटर में आयरन की मात्रा बढ़ गई है. इसके अलावा कई जिलों में लेड, यूरेनियम, क्रोमियम और कैडमियम की मात्रा भी पाई गई है. इस पानी को पीने वाले लोग कई बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं.
क्या है सरकार के आंकड़ें
1.25 राज्यों के 209 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है.
2. 29 राज्यों के 491 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आयरन (लोहा) की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी ज्यादा है.
3. 11 राज्यों के 29 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाई गई है.
4.16 राज्यों के 62 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है.
5.18 राज्यों में 152 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में 0.03 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक यूरेनियम पाया गया है.
स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?
पानी में आर्सेनिक, लोहा, सीसा, कैडमियम, क्रोमियम और यूरेनियम की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक होने का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. अधिक आर्सेनिक से त्वचा रोगों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.आयरन की मात्रा ज्यादा होने पर नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां, जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन हो सकता है. पानी में लेड की अधिक मात्रा भी हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकती है. कैडमियम होने पर किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. क्रोमियम की अधिक मात्रा से छोटी आंत में डिफ्यूज हाइपरप्लासिया हो सकता है, जिससे ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है. पीने के पानी में यूरेनियम की अधिक मात्रा से किडनी की बीमारियों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
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