‘आदिवासियों की जमीन छीनकर पूंजीपतियों को देना चाहती है सरकार, 2019 में जनता देगी जवाब’
गैर मजरुआ जमीन पर पहला अधिकार गांव वालों का- देव कुमार धान
Ranchi: भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के विरोध में झारखंड प्रदेश मांझी परनेत, मुंडा मानकी, हातू मुंडा, महतो पहाड़ा महासमिति एवं आदिवासी सरना महासभा ने 5 अगस्त 2018 को चडरी स्थित केंद्रीय कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया. इस बैठक को संबोधित करते हुए देव कुमार धान ने कहा कि जब से वर्तमान सरकार सत्ता में आई है, तब से वह आदिवासियों की जमीन को छीनकर पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को देने के लिए अलग-अलग चाल चल रही है.
इसे भी पढ़ें-सोशल मीडिया में AAP झारखंड की धमक, जेएमएम भी रेस, भाजपा आक्रामक
गैर मजरुआ जमीन पर पहला अधिकार गांव वालों का
उन्होने कहा कि 2015 में वर्तमान सरकार ने लैंड बैंक बनाने का निर्णय लिया था. 2016 में 20 लाख एकड़ से ज्यादा गैरमजरूआ जमीन को लैंड बैंक में डाल दिया, जबकि गांव की परंपरा एवं सीएनटी-एसपीटी कानून में गैर मजरुआ जमीन पर पहला अधिकार गांव वालों का होता है. जनवरी 2016 में वर्तमान सरकार ने सीएनटी-एसपीटी कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा तथा जून 2016 में अध्यादेश बनाकर राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा. जब आदिवासी समुदाय ने इसका विरोध किया तो सरकार ने अध्यादेश को बदलकर संशोधन कानून के रूप में 23 नवंबर को विधानसभा में 2 मिनट में पारित करा दिया.
इसे भी पढ़ें- सरना और ईसाई समुदाय के लोगों ने ठोका भाजपा से जुड़े लोगों पर मुकदमा
फरवरी 2017 में सरकार ने एक नई नीति बनाई. इसका नाम निजी भूमि सीधी क्रय नीति 2017 रखा गया. इस नीति में सरकार पूंजीपतियों को जमीन देने के लिए जमीन मालिकों से सीधे जमीन खरीद सकती है. जमीन मालिक से सीधा जमीन खरीदने के लिए सेवानिवृत्त राजस्व कर्मचारियों की एक टीम का गठन किया जाएगा, जबकि सबको मालूम है कि राजस्व कर्मचारी के सामने जमीन मालिकों की क्या हैसियत है.
इसे भी पढ़ें- देहरादून, राजस्थान, पिठौरागढ़ से जालंधर तक फैला है राज्य के IFS अफसरों का साम्राज्य
आदिवासी समाज 2019 में इसका देगी जवाब देगी
देव कुमार धान ने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल है. राज्य में सुखाड़ की स्थिति है. सिर्फ 50% रोपनी हो पाई है. सरकार को गरीब आदिवासियों की कोई परवाह नहीं है. वह सिर्फ उनकी जमीन हासिल करना चाहती है, चाहे छल से या बल से. आदिवासी समाज को अपने अस्तित्व और जमीन की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए. आदिवासी समाज 2019 में इसका जवाब देगी.
न्यूज विंग एंड्रॉएड ऐप डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पेज लाइक कर फॉलो भी कर सकते हैं
Comments are closed.