
Ranchi : वित्त विभाग ने करीब एक माह से बजट 2022-23 को लेकर बेहतर प्रयास किया है. बजट बनाना मुश्किल होता है. झारखंड के लिए यह चुनौती है. प्राकृतिक संसाधन में राज्य अव्वल है, लेकिन आर्थिक संसाधनों में कमजोर है. विपरीत परिस्थितियों में संभ्रांत राज्य को प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन जो कमजोर हैं. वे इससे अछूते नहीं रह पाते. इस महामारी में गरीब ही प्रभावित हुआ है. संक्रमण काल से झारखंड को भी गुजरना पड़ा. यही वजह है कि वर्तमान परिस्थिति में लोगों के नजरिए और विचारों को जानने का प्रयास किया गया.
ताकि, राज्य को बेहतर दिशा दिया जा सके. ये बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने वित्त विभाग द्वारा हमर अपन बजट के सन्दर्भ में आयोजित बजट गोष्ठी 2022-23 में कहीं.
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सुझाव सरकार के लिए मील का पत्थर साबित होंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग तरह का राज्य है. यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है. हर क्षेत्र की मुश्किलों से राज्य को बाहर निकालने की आवश्यकता है. 40% अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को यहां के बैंक सहयोग नहीं करते हैं. यह चुनौतीपूर्ण है झारखंड के लिए.
सरकार इसपर चिंतन मंथन कर रही है. क्योंकि यह समय ऑनलाइन और कैश लेश का है. ऐसे में राज्य के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों का क्या होगा.
ऐसे में विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अन्य से सभी के कल्याण के लिए योजना बनाने के लिए सुझावों को जानने का प्रयास किया है. ये सभी सुझाव सरकार के लिए मिल का पत्थर साबित होंगे. इन सुझावों को लागू करने का प्रयास किया जायेगा.
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बजट में सरकार गांव और शहर की जरूरतों को ध्यान में रखा जायेगा : डॉ रामेश्वर
वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पहले टुकड़े-टुकड़े में सलाह ली जाती थी. लेकिन बजट 2022-23 के लिए विशेषज्ञों से लेकर आम लोगों से सुझाव लिया गया है. बजट किसी सरकार का वार्षिक लेखा-जोखा रखता है. वर्तमान सरकार गरीबों और गांव की है. सरकार ने संक्रमण काल में जीवन और जीविका के लिए कार्य किये हैं.
बजट में राजस्व और खर्च को लेकर प्राथमिकता तय होती है. झारखंड को प्राप्त होने वाले राजस्व को लेकर भारत सरकार जिम्मेदार है. यह खनिज संसाधनों से परिपूर्ण राज्य है. आंकड़ों पर गौर करें तो 53 हजार एकड़ भूमि कोल मंत्रालय को दिया गया, जबकि इसकी क्षति पूर्ति नहीं मिली.
65 हजार करोड़ से अधिक की राशि भारत सरकार के पास बकाया है. अब खर्च की बात करें तो कृषि के क्षेत्र में हमें अधिक खर्च करना चाहिए. यह जीवन और जीविका के लिए जरूरी है. इस क्षेत्र में ध्यान देने की आवश्यकता है.
बजट में सरकार गांव और शहर की जरूरतों को देखते हुए बजट का निर्माण करेगी. बजट को लेकर आये सुझाव सरकार की उम्मीदों के अनुरूप हैं.
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इन्होंने दिये अपने सुझाव
कृषि और सिंचाई के क्षेत्र के लिए प्रदान रांची के प्रेम शंकर, सीजेएम नाबार्ड जीके नायर, आइआइपीए के पूर्व चेयरमैन प्रो अशोक विशनदास, स्वास्थ और शिक्षा के क्षेत्र में रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के डॉ राजेश कुमार, एक्सआइएसएस रांची के डॉ अनंत, सीनियर कंसलटेंट, वर्ल्ड बैंक प्रो रतन चांद, एनआईईपीए डॉ मनीषा प्रियम, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आधारभूत संरचना एवं पावर के क्षेत्र में आइआइएम रांची के प्रो अंजुम आनंद, जे-पाल साउथ एशिया अपर्णा कृष्णा, सीयूजे रांची के प्रो संजय समदर्शी समेत अन्य विशेषज्ञों ने बजट गोष्ठी 2022-23 में अपने सुझावों को रखा.
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इनकी रही उपस्थिति
इस मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, वित्त सचिव अजय कुमार सिंह, विभिन्न विभागों के सचिव एवं अन्य उपस्थित थे.
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