
Girish Malviya
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन यानी यूपीपीसीएल के कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम को गलत तरीके से DHFL में निवेश करने का मामला अब तूल पकड़ चुका है. इस घोटाले में यूपीपीसीएल के पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और इम्पलॉइज ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है…
पता चला है कि 2017 से अब तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिटायरमेंट फंड DHFL में निवेश किया है. इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले हैं. अब भी इस कंपनी में कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं. हालांकि योगी सरकार ने कहा है कि अगर रकम वापस नहीं मिलती है तो वो अपनी तरफ से भुगतान करेगी.
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लेकिन इस तरह से किस-किस को पैसे देगी सरकार?… क्योंकि भांग तो कुंए में मिल चुका है…ऐसे निवेश तो हर राज्य के निगम ने किए हुए हैं, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड्स के ऐसे ही रिटायरमेंट फंड के पैसे IL&FS में फंसे हुए हैं.
DHFL में तो फिर भी कम है, लेकिन IL&FS की स्थिति तो बहुत ही खराब है. जहां लाखों मध्य वर्गीय वेतनभोगियों के प्रोविडेंट और पेंशन फंड्स के हजारों करोड़ रुपयों के डूबने का खतरा मंडरा रहा है. ऐनालिस्ट्स का अनुमान है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशियल सर्विसेज यानी आईएलऐंडएफएस (IL&FS) और इसकी ग्रुप कंपनियों में इन रिटायरमेंट फंड्स के 15 से 20 हजार करोड़ रुपए लगे हुए हैं. IL&FS समूह की 133 सहायक कंपनियों पर 91,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. जो अब डूबने की कगार पर है.
इन फंड्स में टॉप कंपनियों के नाम हैं, इनमें टॉप PSU के नाम हैं – एमएमटीसी, सिडको, हुडको, इडबी, एसबीआई, इंडियन ऑयल ईपीएफ, इन्फोसिस ईपीएफ, ईआईएल ईपीएफ, एचयूएल यूनियन प्रोविडेंट फंड, टाइटन पीएफ, आईडीबीआई ट्रस्टशिप, यूटीआई रिटायरमेंट फंड, पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस,हजारीबाग रांची एक्सप्रेस वे, झारखंड रोड प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन कंपनी, मुरादाबाद बरेली एक्सप्रेसवे और वेस्ट गुजरात एक्सप्रेस वे जैसी कुल करीब 1,400 छोटी-बड़ी कंपनियों के फ़ंड इसमे फंसे हुए हैंत.
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यहां तक कि पूर्व सैनिक के कल्याण की अहम निधि आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड (एजीआईएफ) के पैसे भी IL&FS में डूब रहे हैं. इन कंपनियों के ट्रस्ट ने कर्मचारियों के पीएफ की यह रकम तब लगायी गई थी, जब IL&FS की हालत काफी सही थी और इसको सुरक्षित निवेश के लिए ट्रिपल ए (एएए) की रेटिंग मिली हुई थी. रिटायरमेंट फंड्स AAA रेटिंग के कारण IL&FS के बॉन्ड्स पर लट्टू थे.
लेकिन पिछले साल अगस्त में IL&FS कंपनी को अचानक से ‘डी’ रेटिंग दे दी गयी, जिसका अर्थ होता है…सबसे खराब. कुछ ऐसा ही मामला DHFL में भी UPPCL के इन्वेस्टमेंट का भी हो सकता है. इसलिए आप उन्हें भी गलत नहीं कह सकते, यानी कर्मचारियों की कड़ी मेहनत के पैसे से लीगल रूप में जुआ खेला गया और जुए में यह ट्रस्ट हार गए और अब यह रकम डूबने की कगार पर है.
एक अनुमान के मुताबिक, इन रिटायरमेंट फंडों में 15 लाख कर्मचारियों के पैसे हैं जो सिर्फ IL&FS में ही फंसे हुए हैं. अभी तो DHFL का केस खुलना ही शुरू हुआ है और इंडियाबुल्स भी इसी लाइन में लगा अगला खिलाड़ी है. तीनों कंपनियों पर 60 हज़ार करोड़ से अधिक का कर्ज है, जो डूबने जा रहा है!…तो आप ही बताइये किस-किस कर्मचारी के पीएफ के पैसे वापस करेगी सरकार?
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