
Ranchi: वन विभाग के क्रियाकलाप के विरोध में नवनियुक्त वनरक्षियों ने राजभवन के समक्ष आमरण-अनशन शुरू किया. झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ ने मांग पत्र में वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अधिकारियों की आय से अधिक सम्पत्ति की जांच का मांग की है.

2017 में नवनियुक्त वनरक्षियों की सेवा सम्पुष्टि नहीं होने के कारण वार्षिक वेतन लाभ विभाग नही दे रहा है. आमरण-अनशन बैठे वनरक्षियों का कहना है कि विभाग के वरीय अधिकारी दबाव बना रहे हैं कि सम्पुष्टि के लिए विभागीय परीक्षा में बैठें. साथ ही विभागीय परीक्षा की घोषणा भी कर दी है.

झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ की ओर से राजभवन के समक्ष पिछले नौ दिनों से चल रहे धरने के बाद दो दिनों से चार सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में आमरण-अनशन पर बैठे है.
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कोई सुध लेने नहीं आया
संघ के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि चार सदस्य आमरण-अनशन पर हैं. दो दिनों से अन्न-जल त्याग दिया है, इसके बावजूद अब तक सरकार की ओर से कोई सुध लेने तक नहीं आया है.
वहीं, हमें डराने के लिए 24 फरवरी से विभागीय परीक्षा का नोटिस भी निकाल दिया है. अधिकारियों द्वारा लगातार वन सेवकों को डराने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हम इस परीक्षा में शामिल नहीं होंगे और इसके साथ ही अगर हमारी मांगें नहीं सुनी गयी तो अब हमलोग सामूहिक रूप से आत्मदाह कर लेंगे.
धरना प्रदर्शन में संघ के महामंत्री शिव नारायण महतो, रांची जिला अध्यक्ष बटेश्वर कुमार, प्रवीण कुमार सहित अन्य लोग शामिल थे. वहीं अमरण अनशन पर अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद के साथ विरेंद्र सिंह, भूपेंद्र प्रसाद और भूपेंद्र कूमार बैठे हैं.
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क्या हैं मांगें
झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ विभागीय परीक्षा को लेकर विरोध दर्ज करा रहा है. वन सेवकों का कहना है कि सरकार की ओर से वेतन वृद्धि और सेवा संपुष्टि के लिए विभागीय परीक्षा ली जा रही है, जो गलत है.
उनकी मांग है कि यह परीक्षा नहीं ली जाये और सरकार अपने इस फैसले को वापस ले. साथ ही एएसआइ की तर्ज पर उन्हें भी 2800 ग्रेड पे दिया जाये.
विभाग में संविदा, अनुबंध, आउटसोर्सिग प्रथा पर रोक लगाते हुये स्थायी कर्मियों के नियोजन किया जाय. साथ ही प्रशिक्षण उपरांत परीक्षा को ही विभागीय परीक्षा माना जाये.
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