
Giridih: सोचिए, किसी मरीज का ऑपरेशन या इलाज किया जा रहा है और अचानक बिजली गुल हो जाए. बिजली गुल होने के बाद टॉर्च की रोशनी से इलाज किया जाए तो मरीज की हालत समझा जा सकती है. ऐसे ही हालात पिछले कई दिनों से गिरिडीह के सदर अस्पताल का है. जहां बिजली जाने के बाद डॉक्टर किसी मरीज का इलाज और ड्रेसिंग टॉर्च की रोशनी में कर रहे है. हालात तो और उस वक्त बिगड़ी जब रामनवमी पर्व को लेकर लगातार लोडशेडिंग होता रहा. सदर अस्पताल के डॉक्टर के साथ स्वास्थ्य कर्मी टॉर्च की रोशनी में ड्रेसिंग और इलाज जारी रखे.
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वैसे करोड़ो के सदर अस्पताल के भवन में बिजली के सारे उपकरण लगे हुए है. यहां तक की करोड़ो के लागत से सौर ऊर्जा का प्लेट भी लगा है, लेकिन तीन साल पहले खराब हो चुका है. लाखों रुपए के कई जेनरेटर भी सदर अस्पताल में लगा हुआ है, लेकिन कई महीने से वो भी खराब पड़ें है.



दूसरी तरफ एक बार फिर इसी सदर अस्पताल में जरेडा के सहयोग से लाखो रुपए के नए सौर ऊर्जा पैनल सिस्टम अस्पताल के दूसरे भवन सिविल सर्जन कार्यालय में फिट किया जा रहा है. जबकि एक 250 एमवीए का नया जेनरेटर भी अस्पताल परिसर में पिछले कई महीने से पड़ा हुआ है. लिहाजा, सदर अस्पताल के हालात समझी जा सकती है. मरीजों का इलाज करने वाला सदर अस्पताल एक बार फिर खुद बीमार पड़ता जा रहा है.
मामले में सिविल सर्जन डॉ शिव प्रसाद मिश्रा से जानकारी ली गई तो सिविल सर्जन ने बताया की नया जेनरेटर ऑक्सीजन प्लांट के लिए मंगाया गया था. अस्पताल में बिजली आपूर्ति खराब है इसकी जानकारी उन्हें भी नही है.