
Ranchi: पांचवे विधानसभा के बजट सत्र में काफी कुछ देखने को मिल रहा है. मंगलवार को अल्पसूचित प्रश्न काल में कुछ गंभीर मामलों पर सदन में चर्चा हुई. हालांकि नयी सरकार फिलहाल किसी ठोस फैसले पर नहीं आ सकी. लेकिन मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री ने एक सकारात्मक पहल की बात कही.
कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडे सिंह का सदन में स्कूली शिक्षा मंत्री एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो से पूछा कि राज्य के ऐसे 1250 शिक्षण संस्थान जिन्हें सरकार की तरफ से अनुदान दी जाती है, क्या वहां वित्त रहित शिक्षा नीति खत्म करने की सरकार मंशा रखती है.
इस गंभीर सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी अपनी रुचि दिखायी. दीपिका पांडे सिंह की गैरमौजदूगी में विधायक राजेश कच्छप ने सदन में यह सवाल रखा. इस सवाल को सदन में बैठे सीएम हेमंत सोरेन ने काफी गंभीरता से लिया. उन्होंने मंत्री जगरनाथ महतो के जवाब से पहले ही खड़े होकर जवाब देने का इशारा किया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में कई ऐसी चीजें हैं, जिनका अवलोकन मौजूदा सरकार की तरफ से की जा रही है. इन सभी चीजों को सुधारने में थोड़ा वक्त लग सकता है. कहा कि उनकी सरकार समान काम के बदले समान अधिकार पर जल्द ही बड़ा निर्णय लेने वाली है.
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पुलिस और सीओ की सेटिंग से हो रही है बालू ढुलाई में वसूली
विधायक कमलेश सिंह ने अल्पसूचित प्रश्नकाल में बालू ढुलाई के मामले को उठाया. उनके प्रश्न का सारांश यह था कि पीएम आवास और छोटे निजी कार्यों के लिए ढोये जाने वाले बालू को लेकर प्रशासन लोगों को परेशान कर रही है.
वहीं बड़े बालू तस्कर आराम से बालू की तस्करी कर रहे हैं. इस सवाल के स्पोर्ट में बीजेपी के नवीन जायसवाल, अमर बाउरी और भानूप्रताप शाही और सत्ता पक्ष की तरफ से कमलेश सिंह का साथ रामचंद्र सिंह ने भी दिया.
नवीन जायसवाल ने कहा कि नियम है कि खनिजों की ढुलाई की जांच पुलिस नहीं कर सकती है. लेकिन जैसे ही पुलिस को ट्रैक्टर से बालू ढुलाई की खबर मिलती है, वो ट्रैक्टर को पकड़ कर वहां के सीओ के हवाले कर देती है. फिर पुलिस और सीओ दोनों मिलकर वसूली करते हैं. भानूप्रताप शाही ने कहा कि कोई एक ट्रैक्टर सोना ढोकर ले जाये, तो फर्क नहीं पड़ता.
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लेकिन एक ट्रैक्टर बालू कोई ले जाये तो उसके पीछे हाथ धो कर पड़ जाती है. पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि उनके क्षेत्र में एक थाने ने 15 ट्रैक्टरों को जब्त कर रख लिया है. जिससे कई लोग बेरोजगार हो गये हैं.
मामले पर प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने जवाब देते हुए कहा कि केटेगरी वन के बालू की ढुलाई के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है. यह पंचायत स्तर पर होता है. जिससे पीएम आवास योजना या छोटे निजी कार्य हो रहे हैं.
जवाब पर बहस करते हुए कमलेश सिंह ने केटेगेरी वार बालू की सारी नियम और शर्त मांगी, जिसे मुहैया करा देने का प्रभारी मंत्री ने वादा किया.
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