
Vivek Sharma
Ranchi : सीआईपी में वैसे तो मानसिक रोगी हमेशा से आते रहे है. लेकिन कोरोना के बाद से मानसिक रोगियों की संख्या में अचानक से इजाफा हो गया है. वहीं बच्चों की बात करें तो 10 साल के बच्चे गंदी आदतों की चपेट में आ गए है. इसके अलावा 30 साल तक के युवा भी गंदी आदतों की वजह से मानसिक रूप से बीमार हो रहे है. स्थिति यह हो गई है कि पैरेंट्स उन्हें लेकर इलाज के लिए सीआईपी पहुंच रहे है. जहां उनकी काउंसलिंग करने के साथ ही एडमिट कर इलाज किया जा रहा है. एक्सपर्ट्स की माने तो अगर यहीं रफ्तार रही तो आने वाले दिनों में स्थिति भयावह हो जाएगी.
बिहेवियरल काउंसलिंग में खुलासा


सीआईपी के बिहेवियरल काउंसलिंग एक्सपर्ट सौरव खानरा की माने तो कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास और वर्क फ्रॉम होम के कारण दिन भर मोबाइल के साथ चिपके रहना आदतों में शुमार हो गया. इस बीच स्क्रीन पर दिमाग को डायवर्ट करने वाले कई वेबसाइट के लिंक भी आने लगे. जिससे दिमाग डायवर्ट हुआ और फिर यह एडिक्शन बन गया. जो बच्चों से लेकर युवाओं के मानसिक और शारीरिक सेहत पर भारी पड़ रही है. बिहेवियरल ओपीडी में ये चौंकाने वाले खुलासे हुए है. इनमें से करीब 60 प्रतिशत किशोर और युवा पॉर्न देखने के आदि मिले. ऐसे भी केस मिले, जिनमें इन फिल्मों को देखकर वे किसी की तरफ आकर्षित हो गए. कई मामलों में परिजनों के नाराज होने पर सुसाइड तक की कोशिश की गई. कई केस तो ऐसे भी सामने आए जिनमें बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा और भूख भी नहीं लगती.




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एक साल में इलाज को आए 82519 मरीज
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (सीआईपी) में देशभर से मरीज मानसिक रोगों का इलाज कराने के लिए आते है. कोरोना ने जन जीवन पर ब्रेक लगा दिया था. इसके बावजूद सीआईपी में मानसिक रोगियों की संख्या में कमी नहीं आई. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना के प्रकोप के बावजूद 2021 में 82519 मरीज इलाज के लिए आए. जिसमें 3405 गंभीर भी शामिल है. जबकि 2020 में 60881 मरीज इलाज को आए थे. उसमें 2280 मरीज इमरजेंसी में आए थे.
ऑनलाइन गेमिंग और ज्यादा पैसे की चाहत
एक्सपर्ट्स की माने तो हाल के दिनों में ऑनलाइन गेमिंग की लत भी बच्चों और युवाओं को लगी है. लेकिन अब बड़े भी ऑनलाइन गेमिंग की चपेट में है. इसके अलावा लोग ज्यादा पैसे बनाने के चक्कर में ऑनलाइन इंवेस्टमेंट में इंटरेस्ट दिखा रहे है. लेकिन कम समय में ज्यादा पैसे की चाहत में डूब जा रहे है. इसके बाद डिप्रेशन में चले जा रहे है. वहीं कुछ ऐसे भी मरीज आए है जो दूसरों से अपनी तुलना करने के चक्कर में डिप्रेशन में चले गए. फिलहाल उनका इलाज चल रहा है.
साल ओपीडी इमरजेंसी एडमिट डिस्चार्ज डेथ
2021 79114 3405 3733 3625 8
2020 58601 2280 2203 2404 5
2019 98789 2800 4892 4884 12
2018 92901 3267 4018 3955 2