
Ranchi: राज्य में हेल्थ सिस्टम को दुरुस्त करने में स्वास्थ्य विभाग जुटा है. ऐसे में राज्य में बीमारियों को कंट्रोल करने की जिम्मेवारी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की है चाहे वह कम्युनिकेबल डिजीज (संचारित रोग) हो या फिर नन कम्युनिकेबल डिजीज (गैर संचारित रोग). इसे कंट्रोल करने के लिए डिस्ट्रिक्ट लेबल पर इंतजाम किए गए है. डिस्ट्रिक्ट सदर हॉस्पिटल के अलावा प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और हेल्थ सब सेंटर पर नन कम्युनिकेबल डिजीज कॉर्नर खोले गए है. जहां पर इलाज के लिए आने वाले मरीजों की काउंसेलिंग की जाती है कि वे कैसे खुद को बीमारी से बचाए. इसके अलावा इन सेंटरों पर बीपी और डायबिटीज चेकअप के इंतजाम भी किए गए है. इतना ही नहीं लक्षण पाए जाने पर मरीजों का इलाज भी किया जाएगा. साथ ही उन्हें सेंटर से दवाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी. जिससे कि लोगों को इसकी वजह से कोई और बीमारी चपेट में न ले.

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30 साल के युवा टेस्ट कराएं
युवाओं की लाइफस्टाइल में बदलाव हुआ है. खानपान से लेकर रहन-सहन भी बदल गया है. इसके अलावा सोने-उठने का कोई टाइम टेबल तय नहीं है. इस वजह से ही नन कम्युनिकेबल डिजीज (डायबिटीज, दिल की बीमारियां, सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां और कैंसर आदि शामिल) की चपेट में आ रहे है. यह देखते हुए 30 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को हर हाल में बीपी और डायबिटीज का चेकअप कराने की सलाह दी जा रही है.
डब्ल्यूएचओ भी दे रहा साथ
वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत में सिर्फ संक्रामक रोग ही नहीं, बल्कि गैर संक्रामक रोग भी गंभीर स्वास्थ्य चिंता का कारण हैं. आंकड़ों पर नजर डाले तो भारत में 66% लोगों की मौत नॉन कम्युनिकेबल डिजीज यानि गैर संचारी रोगों की वजह से होती है. इनमें अधिकतर बीमारियां लाइफस्टाइल से संबंधित हैं. डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि ये मौतें रोकी जा सकती हैं, बशर्ते कि लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव किए जाएं. निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ कृष्ण कुमार ने बताया कि डब्ल्यूएचओ का साथ हमें मिला है और हम इन बीमारियों को काफी हद तक कंट्रोल करने में सफल भी हो रहे है.