
Palamu: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. इस लॉकडाउन के दौरान झारखंड सरकार श्रमिकों की हितैषी बनकर उभरी है. इन श्रमिकों को सरकार अपने खर्च पर स्पेशल ट्रेन से झारखंड ला रही है और उनके घर तक पहुंचा रही है.
वहीं दूसरी ओर बंगाल के श्रमिकों को सरकार ने अपने हाल पर छोड़ दिया है. तेलागांना के हैदराबाद से बंगाल के चार श्रमिक 1500 किमी पैदल चलकर सतबरवा पहुंचे. श्रमिकों में पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिला के मनोज महतो, पवन महतो, रवि उरांव और अशोक उरांव शामिल हैं.
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27 अप्रैल को हैदराबाद से चले थे मजदूर
रविवार रात 8:30 बजे के करीब मजदूरों के सतबरवा पहुंचने पर समाजिक कार्यकर्ता उमेश कुमार ने कामगारों के व्यथा सुनी. इसके बाद इन मजदूरों को रास्ते में खाने के लिये बिस्कुट और पीने के लिए पानी दिया गया. वहीं, योरमेन ट्रेड्रर्स के संचालक विकास कुमार बिक्कू ने इन श्रमिकों को भोजन कराया और आराम करने को कहा. लेकिन श्रमिक रात में पैदल चलने में सुविधा होती है कहकर आगे बढ़ गये.
श्रमिक मनोज ने बताया कि 27 अप्रैल को हैदराबाद से चले थे. रास्ते में छतीसगढ और एमपी के बॉर्डर पार करते हुए पैदल 15 सौ किमी चलकर सतबरवा पहुंचे. कुल 21 मजदूरों का जत्था साथ है, जो पैदल चलने के दौरान आगे-पीछे हो गये हैं.
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झारखंड सरकार की तारीफ
रवि और अशोक ने बताया कि वो सरिया सेंटरिंग का काम हैदराबाद में करते थे. लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया और ठेकदार भी भाग गये. जो भी कुछ पैसा कमाया था काम करके वह भी लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने में खर्च हो गया.
श्रमिकों ने कहा कि झारखंड सरकार ने बहुत अच्छा फैसला लिया है. प्रवासी मजदूरों को अपने खर्च पर वापस ला रही है और उन्हें उनके घरतक पहुंचा रही है. गौरतलब है कि सतबरवा से पुरूलिया 300 किमी है.
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