
Lucknow : सपा सरकार में यूपी के डीजीपी रहे और सीबीआई निदेशक की रेस में आगे रहे आईपीएस अफसर जावीद अहमद ने एक वॉट्सऐप ग्रुप में कॉमेंट किया कि मुसलमान होने के कारण वे सीबीआई निदेशक नहीं बनाये गये. लेकिन वे ऐसा कॉमेंट कर विवाद के घेरे में आ गये. हालांकि, कुछ देर बाद उन्होंने कॉमेंट डिलीट कर दिया, लेकिन पहले ही ग्रुप में शामिल किसी शख्स ने स्क्रीनशॉट लेकर कॉमेंट को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. बता दें कि उन्होंने ग्रुप में कमेंट किया था कि अल्लाह की मर्जी… बुरा तो लगता है पर एम होना गुनाह है. खबरों के अनुसार शनिवार शाम इस वॉट्सऐप ग्रुप में आईपीएस अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई चीफ बनाये जाने का मेसेज पोस्ट होते ही लगभग सात बजे जावीद अहमद ने ग्रुप में इस मेसेज पर अपनी प्रतिक्रिया दी. कुछ ही देर में उनकी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी. इस संबंध में जावीद अहमद की प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है. खबरों के अनुसार ग्रुप से जुड़े एक वरिष्ठ अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की है कि जावीद अहमद ने ग्रुप में कॉमेंट किया था.
मैसेज वायरल होने पर सोशल मीडिया पर खिंचाई
मैसेज वायरल होने पर सोशल मीडिया पर लोगों ने जावीद अहमद की खूब खिंचाई की. एक ने लिखा, जब जावीद अहमद को 15 सीनियर अफसरों को नजरअंदाज कर यूपी का डीजीपी बनाया गया था, तब क्या हुआ था? एक ट्विटर का ट्वीट था कि ऋषि शुक्ला उनसे सीनियर हैं और अबु सलेम के प्रत्यर्पण में अहम भूमिका भी निभाई थी. शुक्ला ने कई भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर सख्त कार्रवाई भी की. सामान्य शिष्टाचार तो दिखाइए. एक अन्य यूजर ने लिखा, साल 1979 बैच के रंजन द्विवेदी, 1980 बैच के सुलखान सिंह और 1982 बैच के वीके गुप्ता का एच होना गुनाह था, इसलिए 1984 बैच के अफसर को यूपी का डीजीपी बनाया गया था.


सीनियरों को सुपरसीड कर बनाये गये थे डीजीपी


बता दें कि जावीद अहमद 2016 में कई सीनियर अफसरों को सुपरसीड कर यूपी के डीजीपी बनाये गये थे. 2017 में योगी सरकार के आने पर उन्हें डीजी पीएसी बनाकर डीजीपी पद पर सुलखान सिंह बैठाये गये थे. जावीद अहमद वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिमिनॉलजी ऐंड फरेंसिक साइंस के डीजी के पद पर हैं.
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