
Ranchi: राजधानी का प्रतिष्ठित होटल माने जाने वाले होटल अशोका को राज्य सरकार की ओर से खरीदे जाने की कवायद फिर से शुरू हो गयी है. होटल के संपूर्ण शेयर को खरीदेने को लेकर प्रोजेक्ट भवन में गुरूवार को फिर एक बैठक होने वाली है. बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उपस्थित रहेंगे.
बैठक में होटल के सभी शेयर होल्डरों के रहने की बात की जा रही है. इससे पहले साल 2016 में भी तत्कालीन रघुवर सरकार ने होटल अशोका के सभी शेयर खऱीदने का फैसला किया था. 22 अक्टूबर 2016 को कैबिनेट बैठक में यह फैसला हुआ था.
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बता दें कि भारत पर्यटन विकास निगम (आइटीडीसी) और बिहार पर्यटन के पास संयुक्त रूप से 87.75 प्रतिशत शेयर हैं. राज्य सरकार के पास सिर्फ 12.25 प्रतिशत ही शेयर हैं. होटल के मालिकाना हक को लेकर झारखंड गठन के बाद से ही मांग होती रही है. राज्य सरकार ने केंद्र और बिहार से होटल को चलाने का पूरा हक मांगा था. राज्य गठन के पहले आइटीडीसी का 51 प्रतिशत और बिहार का 49 प्रतिशत शेयर इसमें था. राज्य बनने के बाद बिहार के 49 प्रतिशत शेयर में से 12.25 प्रतिशत शेयर झारखंड को दे दिया गया था. राज्य सरकार होटल के संचालन का पूरा जिम्मा लेने की मांग पर अड़ी है. लेकिन यह बात अबतक नहीं बन सकी है.


नवंबर 2019 को आइटीडीसी ऑफिस में नियुक्त हुए थे राज्य सरकार के अधिकारी
होटल अशोका के सारे शेयर झारखंड सरकार द्वारा लेने को लेकर कई बार बैठक हो चुकी हैं. 26 सितंबर 2019 को तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया था कि विनिवेश की प्रक्रिया को तेजी से धरातल पर उतारा जाएगा. इसके बाद 19 नवंबर 2019 को हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि झारखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति आइटीडीसी ऑफिस में की जाएगी.
ऐसा करने के पीछे होटल की इक्विटी के वैल्युएशन का मामला सुलझाना था. केंद्रीय सचिव ने राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव डीके तिवारी को बताया गया था कि आइटीडीसी ने झारखंड सरकार को सभी जरूरी सूचनाएं दे दी हैं. साथ ही निगम ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में जल्द से जल्द कोई फैसला लेने को कहा था.
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30 मार्च 2018 से होटल में सभी तरह की व्यावसायिक गतिविधियां बंद
राजधानी के डोरंडा स्थित होटल अशोक विहार थ्री स्टार होटल था. इसकी सभी व्यावसायिक गतिविधियां को बीते 30 मार्च 2018 को बंद कर दिया गया था. होटल के बोर्ड और डायरेक्टरों की बैठक के बाद इसे बंद करने का फैसला लिया गया था.
होटल के जीएम अविनाश जगरानी ने होटल बंद करने की जानकारी दी थी. उन्होंने उस दौरान कहा था कि जो भी कर्मचारी वॉलेंटरी रिटायरमेंट चाहते हैं, वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. हालांकि उस दौरान 32 कर्मचारियों को वीआरएस लेने का ऑपशन दिया गया था. इनमें से 4 कर्मचारियों ने वीआरएस लिया था, जबकि शेष 28 होटल को जल्द से जल्द खोलने और कर्मचारियों का बकाया वेतन देने की मांग पर अड़े थे. हालांकि बाद में वर्ष 2019 में तंगी के कारण एक कर्मचारी की मौत हो गई थी. वहीं तीन कर्मचारी बिना किसी लाभ के ही रिटायर हो गये थे.
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