
Chhaya
Ranchi: सूचना आयोग से फिलवक्त जो सूचना आ रही है, वो सूचना के अधिकार से जुड़े लोगों के लिए अच्छी नहीं है. लंबित मामलों की फेहरिस्त में लगातार बृद्धि हो रही है. झारखंड राज्य सूचना आयोग की स्थापना राज्य में सूचना अधिकार अधिनियम से संबधित मामलों के निष्पादन के लिए की गयी थी. लेकिन स्थापना काल से ही जितने मामले आयोग के पास आते है उसे में से आधे से अधिक मामले आयोग के पास लंबित रह जाते हैं. साल 2018 की ही बात की जाये तो यहां कुल 10541 मामले आयोग के पास थे. इनमें से 8362 मामले आयोग के पास लंबित रह गये और 2176 मामलों को निष्पादन हो पाया. साल 2017, 10085 मामलों में 2264 मामले का निष्पादन किया गया. जबकि 7821 मामले लंबित रह गये. कुछ सूत्रों से जानकारी मिली है कि आयोग के पास मामले तो आते हैं, लेकिन जिन विभाग, शैक्षणिक संस्थान आदि के खिलाफ शिकायतें आतीं हैं, वे यहां लगने वाले कोर्ट की अधिकांश सुनवाई में अपीलकर्ता और प्रतिवादी में आते ही नहीं.
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सूचना आयुक्तों की कमी भी है मुख्य कारण
यहां मामलों के लंबित रहने का मुख्य कारण सूचना आयुक्तों की कमी है. आयोग गठन के बाद से ही अगर देखा जाये तो आयोग को सिर्फ तीन ही मुख्य सूचना आयुक्त मिले. वर्तमान में आदित्य स्वरूप यहां मुख्य सूचना आयुक्त हैं. वहीं अन्य सूचना आयुक्त सिर्फ एक हैं. जिसके कारण मामलें लंबित रह जाते हैं.
फंड का नहीं हो पाता सही उपयोग
सरकार की ओर से सूचना आयोग को साल 2017-18 में कुल आवंटित राशि 3 करोड़ 5 लाख 72 हजार थी. जिसमें से 19 लाख 88 हजार 865 राशि आयोग के फंड में शेष रह गये. सरकार की ओर से दी गयी राशि को विभिन्न मदों में खर्च करना था. जिसमें संविदा कर्मियों का वेतन, कार्यालय व्यय, मशीन उपकरण समेत अन्य मद हैं. लेकिन इन मदों के लिए आने वाली राशि का भी उपयोग आयोग में नहीं हो पा रहा है.
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नहीं किया जाता विपत्र समर्पित
इस फंड में कई ऐसे मद है जिनकी राशि का सही उपयोग नहीं किया गया और न ही खर्च हो पाया. जिसका मुख्य कारण सूचना आयुक्तों की कमी है. वहीं पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त की ओर से संविदा कर्मियों के लिए विपत्र समर्पित नहीं करने के कारण आयोग के फंड में राशि शेष है. साल 2017-18 तक की कुल राशि आयोग के फंड में 19 लाख 88 हजार 865 शेष है. पिछले कुछ सालों में मामलों का ब्यौरा:
साल मामलें निष्पादित मामलें लंबित मामले |
2011 4305 2162 2143 |
2012 4881 1414 3467 |
2013 5552 1518 4034 |
2014 7374 1573 5801 |
2015 9894 2348 7546 |
2016 9555 2801 6754 |
अधिक कोर्ट लगते तो मामले जल्दी निष्पादित होते: इस संबध में मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप ने जानकारी दी कि आयोग के पास सिर्फ एक ही सूचना आयुक्त है. अधिक सूचना आयुक्त होते तो मामलों का निष्पादन जल्दी हो पाता. उन्होंने कहा कि ऐसी कोई सीमित संख्या नहीं है सूचना आयुक्तों की, लेकिन मामले लंबित रह जाते है. इसका कहीं भी फंड से कोई लेना देना नहीं है.