
Amit jha
Ranchi/Dumka: संजय कच्छप, झारखंड सरकार में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में महत्वपूर्ण पद पर हैं. अभी वे दुमका में कृषि उत्पादन बाजार समिति के सचिव के तौर पर सेवा दे रहे हैं. “लाइब्रेरी मैन” के तौर पर उनकी ख्याति बन गयी है. पीएम मोदी ने आज अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में उन्हें खूब याद किया. विद्या दान के उनके प्रयासों के लिए खूब सराहा. इसे विशिष्ट सामाजिक कार्य बताया. ऐसे में संजय कच्छप जैसे आदिवासी अधिकारी के बारे में सबों के जुबान पर चर्चा आ गयी है. आइये, जानें संजय के लाइब्रेरी मैन बनने के सफर को.
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गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए ललक
संजय कच्छप (40 वर्ष) का बचपन आसान नहीं रहा. पश्चिम सिंहभूम के चाईबासा में उनके माता- पिता मजदूरी करके घर गृहस्थी की गाड़ी खींचते थे. चाईबासा के टाटा कालेज से इतिहास विषय लेकर किसी तरह से ग्रेजुएशन पूरा किया. 2004 में ट्रेन गार्ड के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा पास की. पर गार्ड के नौकरी की भागमभाग में गरीब बच्चों की पढाई के लिए हाथ बंटा पाने की ललक बेचैन करती रही. यह बेचैनी 2008 तक बनी रही. इसी साल झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की, कृषि विभाग में अफसर बने. हालांकि इससे पहले 2002 में धन की कमी के कारण दो प्रयासों के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा पास करने में मुश्किलें आयीं. 2008 में जब अफसर बने, गरीब बच्चों के लिए पुस्तकालय और उनकी शिक्षा के लिए किसी न किसी तौर पर प्रयास बनाए रखा है. यहाँ तक कि इसी अवधि से अपने वेतन का आधा योगदान इन्हीं सब कार्यों में दे रहे हैं. और भी कुछ परोपकारी स्वभाव के लोग इस अभियान में साथ दे रहे हैं.
दो दर्जन पुस्तकालय की सौगात
अपने एक दशक से अधिक के कैरियर में संजय कच्छप ने 12 डिजिटल पुस्तकालयों सहित 25 पुस्तकालय स्थापित कर दिए हैं. खासकर कोल्हान के अलग अलग इलाकों में उनकी ओर से स्थापित लाइब्रेरी का लाभ बच्चों को मिल रहा है. पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम तथा सरायकेला खरसावां में लाइब्रेरी स्थापित करने में समान विचारधारा वाले आदिवासी शिक्षाविदों से भी भरपूर सपोर्ट मिला. अभी मनोहरपुर, खरसावां, गुडाबांधा, डुमरिया, मोसाबनी जैसे अतिवाद प्रभावित क्षेत्रों में भी उनके द्वारा स्थापित डिजिटल लाइब्रेरी का लाभ गरीब बच्चों को मिल रहा है.
आखिर यह सब क्यों
संजय कच्छप के मुताबिक वे चाहते हैं कि गरीब बच्चों को उन तकलीफों से ना गुजरना पडे जिससे वे गुजरे हैं. उच्च शिक्षा के सपने को पूरा करने और प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिये बच्चे अपना भविष्य संवार सकें, यही कोशिश है. अब तक क्राउड फंडिंग के जरिये वे अलग अलग लाइब्रेरी में 12 कंप्यूटर और एलसीडी प्रोजेक्टर स्थापित करने में सफल हो पाए हैं. सभी 25 लाइब्रेरी में पुस्तकों का स्टाक उपलब्ध कराया जा चुका है. बैंक, रेलवे, कर्मचारी चयन आयोग, यूपीएससी परीक्षाओं के लिए मेटेरियल के अलावा कालेज स्तर की किताबें भी उनमें उपलब्ध करायी गयी हैं. उद्देश्य यही है कि गरीब बच्चों के सपने भी पूरे हों.