
Ranchi: उत्तराखंड में 23 अप्रैल को ग्लेशियर टूटने से झारखंड के 11 श्रमिकों की मौत हो गयी थी. वे सभी बीआरओ (ब़ॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) में काम कर रहे थे.
पर इस दुखद घटना के बाद बीआरओ की ओर से मारे गये श्रमिकों के पार्थिव शरीर को झारखंड भेजे जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी. इस पर झारखंड सरकार के पास मृतकों के परिजन लगातार गुहार लगा रहे थे.
सीएम हेमंत सोरेन ने बीआरओ के रवैये पर नाराजगी जतायी. इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उन्होंने बात की. राजनाथ सिंह ने भरोसा दिलाया कि मृतकों के शव को उनके गृह राज्य भिजवाया जायेगा.


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सीएम ने की थी शिकायत
हेमंत सोरेन ने राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि जोशीमठ (उत्तराखंड) में ग्लेशियर टूटने की घटना हुई थी. झारखंड के कई श्रमिक बीआरओ कर्मचारी के तौर पर वहां काम कर रहे थे.
11 श्रमिक मारे गये पर चार दिन बीत जाने के बावजूद अब तक बीआरओ ने उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक आवास पर भेजने के लिये कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में संबंधित अधिकारियों को इसके लिये आदेश दिया जाये जिससे इनके परिजनों को इनका अंतिम दर्शन हो सके.
सीएम ने ट्विटर पर भी लिखा कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से वीर श्रमिकों को हमने खो दिया था. मृतकों को झारखण्ड भेजने हेतु बीआरओ द्वारा अभी तक कार्यवाई नहीं की गयी है. फोन पर राजनाथ सिंह से बात हुई. उन्होंने बीआरओ की कार्यप्रणाली पर आक्रोश जताते हुए मदद का आश्वासन दिया है.
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मृतकों को मुआवजा देगी सरकार
राज्य सरकार ने उत्तराखंड हादसे में मारे गये 11 श्रमिकों को मुआवजा दिये जाने की भी घोषणा की है. इसमें तारिणी सिंह, मनोज थानदार, रोहित सिंह, राहुल कुमार, नियारण कंडुलना, पॉल कंडुलना, हानुक कंडुलना, मसीह जास मारकी, निर्मल सांडिल और सुखराम मुंडा के नाम शामिल हैं.
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