
Jerusalem: इस्राइल में 12 वर्ष पुरानी बेंजामिन नेतन्याहू के शासन का अंत हो गया. रविवार को नफ्ताली बेनेट ने इस्राइल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. 49 वर्षीय बेनेट दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता है. नई सरकार में 27 मंत्री हैं जिनमें से नौ महिलाओं को शामिल किया गया है. हालांकि, बेनेट को मामूली बहुमत है. 120 सदस्यीय सदन में 61 सांसदों का समर्थन प्राप्त है.

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इससे पहले बेनेट ने संसद में संबोधन के दौरान अपनी सरकार के मंत्रियों के नामों की घोषणा की. इस दौरान 71 वर्षीय नेतन्याहू के समर्थकों ने बाधा भी डाली. प्रतिद्वंद्वी पार्टी के सांसदों के शोर शराबे के बीच बेनेट ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वह अलग-अलग विचार वाले लोगों के साथ काम करेंगे. बेनेट ने कहा कि इस निर्णायक समय हम यह जिम्मेदारी उठा रहे हैं. इस सरकार के अलावा बस यही विकल्प था कि और चुनाव करवाएं जाएं. इससे और नफरत फैलती और देश पर असर पड़ता.
मालूम हो कि इस साल मार्च में हुए चुनाव में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को बहुमत नहीं पा सकी थी. दो साल में चार बार हो चुके चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद राष्ट्रपति ने नेतन्याहू को सरकार चलाने और 2 जून तक बहुमत साबित करने को कहा था. लेकिन इससे पहले ही विपक्षी गठबंधन ने नेतन्याहू के 12 साल तक लगातार सत्ता में रहने के रिकॉर्ड को यहीं पर विराम देने की रणनीति बनाई.
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नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ बने इस गठबंधन में इस्राइल में अरब समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली इस्लामी राम पार्टी भी शामिल है. विपक्षी गठबंधन में शामिल राम पार्टी इस्राइली अरब मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है. इस्राइल में विपक्षी गठबंधन की तरफ से पहली पारी में पीएम बनने वाले नफ्ताली बेनेट इस्राइली रक्षा बलों की एलीट यूनिट सायरेत मटकल और मगलन के कमांडो रह चुके हैं. 2006 में वे बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में राजनीति में आए. जिसके बाद नेतन्याहू के चीफ ऑफ स्टाफ बनाए गए. बाद में वे न्यू राइट और यामिना पार्टी से भी नेसेट के सदस्य बने. 2012 से 2020 के बीच 5 बार सांसद रह चुके हैं. वह बाद में नेतन्याहू के विरोधी हो गए. 2019 से 2020 के बीच रक्षामंत्री रह चुके नफ्ताली ईरान और फलस्तीन के मुद्दे पर नेतन्याहू से भी ज्यादा कट्टर और सख्त हैं.
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