
New Delhi: उच्चतम न्यायालय सोमवार को उत्तर प्रदेश में कथित मुठभेड़ों और इसमें लोगों के मारे जाने की घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआई या विशेष जांच दल से जांच कराने के लिये दायर याचिका पर विस्तार से सुनवाई के लिए सहमत हो गया.
मामले की विस्तार से सुनवाई की जरुरत
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने रिकार्ड में उपलब्ध सामग्री के अवलोकन के बाद कहा कि पीयूसीएल की याचिका में उठाये गये मुद्दों पर गंभीरता से विचार की आवश्यकता है. पीठ इस मामले पर 12 फरवरी को सुनवाई करेगी. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हालांकि दावा किया कि राज्य प्रशासन ने सभी मानदंडों और प्रक्रियाओं का पालन किया है.
योगी सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा था जवाब
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने इस संगठन की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2017 में करीब 1100 मुठभेड़ें हुई हैं, जिनमे 49 व्यक्ति मारे गये और 370 अन्य जख्मी हुए.
इस संगठन ने अपनी याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार के हवाले से प्रकाशित खबरों का जिक्र किया है. जिनमें राज्य में अपराधियों को मारने के लिये मुठभेड़ों को न्यायोचित ठहराया है. याचिका में इन सभी मुठभेड़ों की केन्द्रीय जांच ब्यूरो या विशेष जांच दल जैसी एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध किया गया है.
याचिका के अनुसार, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को उपलब्ध कराये गये आंकड़ों में बताया है कि एक जनवरी 2017 से 31 मार्च 2018 के दौरान 45 व्यक्ति मारे गये हैं.