
Ranchi : अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार और झारखंड रिन्यूवल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा) लगातार कार्यक्रम चला रहे हैं. वहीं नये प्रोजेक्ट्स भी लायें जा रहे हैं. सौर ऊर्जा आधारित मिनी और माइक्रो ग्रिड प्रोजेक्ट्स के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. प्रस्तावित नीति में एक से लेकर पांच किलोवाट पावर क्षमता तक की ग्रिड मिनी और माइक्रो स्थापित करने की योजना है. ये बातें जरेडा डायरेक्टर केके वर्मा ने कहीं. वे को सीड और जरेडा की ओर से आयोजित स्टेक होल्डर समिट को संबोधित कर रहे थे. जिसका विषय एनर्जाइजिंग एक्सेस इन झारखंड स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन फॉर मिनी ग्रिड पॉलिसी था.
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मिनी व माइक्रो ग्रिन की आवश्यकता


इस दौरान वर्मा ने कहा कि इस क्षेत्र में निवेष और टेक्नोलॉजी इनोवेशन काफी महत्वपूर्ण है. जिसके लिये स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. वर्मा ने कहा कि मिनी और माइक्रो ग्रिड सरकारी, निजी डेवलपर्स या कोई भी शुरू कर सकता है. झारखंड के विविध भौगोलिक क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिहाज से फिट बैठते हैं. एक आकलन के अनुसार झारखंड में बिजली की मांग अगले चार-पांच वर्षों में 6000 मेगावाट तक पहुंच सकती है.




बढ़ती मांग के साथ तालमेल रखने के लिए ऊर्जा विभाग और जेरेडा ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों खासकर अक्षय ऊर्जा को प्राथमिकता दी है और इसी अनुरूप जेरेडा की ओर से राज्य के विभिन्न हिस्सों में 246 मिनी-ग्रिड स्थापित किए गए हैं.
ग्रामीण इलाकों में बिजली देना
सीड के रिन्यूएबल एनर्जी हेड अश्विनी अशोक ने कहा कि झारखंड मिनी और माइक्रो ग्रिड पॉलिसी का उद्देश्य राज्य के उन दुर्गम और दूरदराज के गांव-देहातों में ऊर्जा की सुविधा उपलब्ध कराना है, जहां गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति एक चुनौती है. मिनी ग्रिड नीति अक्षय ऊर्जा से जुड़े राज्य के रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन के टारगेट को पूरा करने और क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों को रोकने से संबंधित है. जो केंद्र सरकार के प्रावधानों को पूरा करने में मदद करेगी. इस नीति के क्रियान्वयन से न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था बल्कि राज्य में आर्थिक विकास को बल मिलेगा.
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