
Ranchi: जल जीवन मिशन से ग्रामीण परिवारों को बड़ी उम्मीद है. इससे जल संकट से जूझ रहे परिवारों को घर में ही पेयजल की उपलब्धता तय मानी जा रही है. 2024 तक जल शक्ति मंत्रालय (केंद्र सरकार) ने इसके जरिये झारखंड के लगभग 60 लाख (59.23 लाख) परिवारों को लाभान्वित करने का टारगेट रखा है. हालांकि लक्ष्य की तुलना में झारखंड में इस योजना से अगस्त, 2019 से अब तक महज 6.15 लाख परिवारों तक ही योजना पहुंच सकी है. राज्य में जल जीवन मिशन की समीक्षा को कुछ माह पहले केंद्र (राष्ट्रीय जल जीवन मिशन) की एक टीम झारखंड आयी थी. हालांकि ऐसी ही एक टीम महाराष्ट्र और राजस्थान भी गयी थी. टीम ने अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी है. लोकसभा के चालू सत्र (शीतकालीन) में भी इसे रखा गया है. इसमें चिंता जाहिर करते कहा गया है कि जल जीवन की रफ्तार पर बार बार झारखंड में ब्रेक लग रहा है. आकांक्षी जिलों में हालत और भी खराब है. ग्राम जल स्वच्छता समिति निष्प्रभावी है. जल जांच प्रयोगशालाओं की कमी है. राशि व्यय करने में भी राज्य का परफॉर्मेंश संतोषजनक नहीं.

इसे भी पढ़ेंःझारखंड में 32.2 प्रतिशत लड़कियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है- सर्वे
1 साल में 3 लाख कनेक्शन भी नहीं
चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह ने सदन में समिति की रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगी थी. इस पर 2 दिसंबर को सदन में जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि समिति के मुताबिक झारखंड में 2021-22 में केवल 2.20 लाख परिवारों को ही जल जीवन मिशन का लाभ मिल पाया. 2019 से अब तक कुल 9.60 लाख परिवारों तक वाटर कनेक्शन का लाभ मिल पाया है. इसमें से 6 लाख से अधिक परिवारों को 2019-21 में कनेक्शन मिला है. अब भी लगभग 50 लाख (49.63 लाख) को कनेक्शन देने का काम बाकी है. आकांक्षी जिलों में क्रियान्वयन की गति तेज करने की जरूरत है.
राजस्थान, महाराष्ट्र सहित झारखंड में ग्राम कार्य योजनाओं (वीएपी) को अंतिम रुप देने की जरूरत है. ग्राम पंचायतों में निष्क्रिय पड़े ग्राम जल स्वच्छता समितियों को भी सपोर्ट देने और उसके गठन की आवश्यकता है. हर गांव में फील्ड टेस्ट किट्स के जरिये वाटर क्वालिटी को परखने को कम से कम 5 महिलाओं को तैयार करना होगा. उन्हें ट्रेनिंग देनी चाहिये.
इसे भी पढ़ेंःलोहरदगा में भाकपा माओवादियों ने चिपकाए पोस्टर, इलाके में मची सनसनी
बिजली कटौती के कारण झारखंड में वाटर फिल्टर प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहे. ब्लॉक स्तरीय वाटर टेस्टिंग लैब में उपकरणों की कमी है. उनके तत्काल आधुनिकीकरण की जरूरत है. राज्य में पानी में भारी मात्रा में आयरन की शिकायत है. इसे देखते हुए एनएबीएल लैब की कमी दिखती है. जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिये साइन बोर्ड, स्लोगन और अन्य प्रयासों को बढ़ावा देने की जरूरत है.
व्यय करने में राज्य सुस्त
जल जीवन मिशन के तहत 2021-22 की अवधि में राज्य के पास 137.93 करोड़ रुपये पढ़े थे. इसके अलावे केंद्र की ओर से और भी सहायता दी गयी थी जिसके बाद उसके पास 650.15 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं. इसमें से 80.97 करोड़ रुपये ही व्यय किये जा सके हैं.
Slide content
Slide content